5 अक्टूबर को बन रहा है शुभ संयोग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में रखें रविवार का व्रत, मिलेगा मनचाहा फल

5 अक्टूबर को रविवार व्रत: बन रहा है अत्यंत शुभ संयोग
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 5 अक्टूबर 2025 रविवार को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पड़ रही है। यह दिन विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है क्योंकि इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे दो शुभ योगों का दुर्लभ संयोग बन रहा है।
धार्मिक मान्यता है कि जब रविवार के दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग एक साथ पड़ते हैं, तो इस दिन किया गया व्रत, दान, जप और पूजा साधक को अत्यंत शुभ फल प्रदान करते हैं। यह दिन सूर्य देव की आराधना और आत्मबल की वृद्धि के लिए अत्यंत मंगलकारी रहेगा।
रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का महत्व
रवि योग को पंचांग के सबसे प्रभावशाली योगों में से एक माना जाता है। इस योग में किए गए कार्य कभी विफल नहीं होते और व्यक्ति को आत्मविश्वास, सफलता और सम्मान की प्राप्ति होती है।
वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का अर्थ है — ऐसा समय जब व्यक्ति द्वारा किया गया कोई भी शुभ कार्य पूर्णता को प्राप्त करता है। इस योग में पूजा, व्रत, यात्रा या नया कार्य प्रारंभ करना अत्यंत लाभकारी रहता है।
जब यह दोनों योग एक साथ आते हैं, तब दिन का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है और साधक के जीवन में धन, यश और मानसिक शांति का संचार होता है।
रविवार व्रत का धार्मिक महत्व
रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और आत्मबल में वृद्धि होती है।
शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति रविवार को उपवास रखकर सूर्य देव की आराधना करता है, उसके जीवन से रोग, दुःख और आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं। यह व्रत व्यक्ति को तेज, ऊर्जा और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
विशेष रूप से 5 अक्टूबर का यह रविवार इसलिए भी खास रहेगा क्योंकि रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के संयोग से सूर्य पूजा का प्रभाव कई गुना अधिक बढ़ जाएगा।
रविवार व्रत और सूर्य देव की पूजा विधि
इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य के जल में लाल फूल, गुड़ और चावल मिलाकर “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का 11 बार जप करें।
इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर सूर्य देव के सामने दीपक जलाएं और गेहूं, लाल वस्त्र, और गुड़ का भोग लगाएं।
व्रत के दौरान नमक का सेवन न करें और पूरे दिन सूर्य नाम का स्मरण करते रहें। संध्या के समय सूर्य स्तुति या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ फल देता है।
इस व्रत के लाभ और प्रभाव
रविवार के व्रत से व्यक्ति के कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष जैसे आत्मविश्वास की कमी, नेत्र रोग, सरकारी कार्यों में बाधा आदि दूर होते हैं।
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है या पिता से संबंधों में तनाव रहता है, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
शास्त्रों में कहा गया है —
“सूर्य उपासना सर्वदोष नाशिनी” — अर्थात सूर्य की आराधना से जीवन के सभी पाप और बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
5 अक्टूबर 2025 का रविवार व्रत विशेष रूप से शुभ है क्योंकि इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग दोनों एक साथ बन रहे हैं। यह दिन सफलता, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम रहेगा।
इस अवसर पर श्रद्धा और भक्ति से सूर्य देव की पूजा करें, व्रत का पालन करें और अपने जीवन में सकारात्मकता एवं ऊर्जावान परिवर्तन का स्वागत करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।