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RBI का बड़ा ऐलान: रेपो रेट में 0.25% की कमी, EMI में मिलेगी राहत—लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी

रेपो रेट 5.50% से घटकर 5.25%—महंगाई में कमी और बेहतर जीडीपी ग्रोथ के बाद लिया गया फैसला

RBI का बड़ा ऐलान: रेपो रेट में 0.25% की कमी, EMI में मिलेगी राहत—लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी
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RBI की ओर से राहतभरा फैसला, रेपो रेट में 0.25% की कटौती का ऐलान

भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को आम जनता को बड़ा आर्थिक राहत पैकेज देते हुए प्रमुख नीतिगत दर—रेपो रेट—में 0.25% की कमी की घोषणा की। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के बाद आए इस फैसले से रेपो रेट 5.50% से घटकर 5.25% पर आ गया है। यह कदम सीधे तौर पर करोड़ों लोनधारकों को राहत देने वाला है, क्योंकि ब्याज दरों में कमी से EMI स्वतः घट जाएगी।

होम, कार और पर्सनल लोन की EMI होगी सस्ती—बढ़ेगी ग्राहकों की बचत

रेपो रेट में हुई इस ताज़ा कटौती का फायदा बैंकों की उधार दरों में भी दिखाई देगा। रेपो रेट गिरने के बाद अब बैंक अपने MCLR और अन्य ब्याज मानकों को कम कर सकते हैं। इसका सीधा असर होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दर में मामूली 0.25% की कटौती भी लंबे समय के गृह ऋणों पर कुल ब्याज में बड़ी बचत करा सकती है। इससे उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी की भी संभावना है।

घटती महंगाई और मजबूत आर्थिक संकेतकों पर आधारित है RBI का फैसला

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति ने पिछले तीन महीने में महंगाई दर में आई कमी, आर्थिक गतिविधियों में मजबूती और GDP के सकारात्मक ग्रोथ ट्रेंड का गहन विश्लेषण किया। इसी व्यापक मूल्यांकन के बाद समिति ने सर्वसम्मति से दर घटाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियाँ यह संकेत देती हैं कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और विकास दर पटरी पर लौट रही है, ऐसे में नीतिगत ढील अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी होगी।

अर्थव्यवस्था में रफ्तार आने की उम्मीद, निवेश और खपत दोनों को मिलेगा सहारा

विशेषज्ञों की राय है कि रेपो रेट में कटौती से सिर्फ लोनधारकों को राहत नहीं मिलेगी, बल्कि बाजार में तरलता बढ़ेगी और निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा। कंपनियों के लिए उधार लेना आसान होने से औद्योगिक गतिविधियाँ तेज़ हो सकती हैं। इसके अलावा, EMI में कमी घरेलू उपभोक्ताओं की जेब में अतिरिक्त कैश छोड़ती है, जिससे रिटेल और ऑटो सेक्टर में भी सुधार की संभावना जताई जा रही है।

आगे की राह—क्या आगे और कटौती संभव है?

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यदि महंगाई नियंत्रण में बनी रहती है और आर्थिक संकेतकों में स्थिरता दिखती रही, तो RBI भविष्य में और भी दरों में ढील दे सकता है। हालांकि फिलहाल केंद्रीय बैंक ‘मापी हुई नरमी’ की नीति पर चलते हुए सतर्क नजर बनाए हुए है। आने वाली तिमाही में वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ भी RBI के फैसलों को प्रभावित कर सकती हैं।

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