11 जुलाई से शुरू होगा श्रावण मास 2025, भोलेनाथ की कृपा पाने का पावन अवसर

11 जुलाई से शुरू होगा श्रावण मास 2025, भोलेनाथ की कृपा पाने का पावन अवसर
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हिंदू धर्म में श्रावण मास यानी सावन का महीना विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। यह माह भक्तों के लिए आत्मिक शुद्धि, भक्ति और तपस्या का अनुपम अवसर प्रदान करता है। वर्ष 2025 में सावन की शुरुआत 11 जुलाई, शुक्रवार को हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त, शनिवार को होगा। इस दौरान भक्तों को कुल 4 सावन सोमवार का सौभाग्य प्राप्त होगा। पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है, जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

सावन में क्यों होती है शिव पूजा विशेष

मान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव स्वयं धरती पर वास करते हैं। यह समय उनकी कृपा पाने का सबसे उपयुक्त काल माना गया है। श्रद्धालु शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भस्म चढ़ाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इस महीने में रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और शिवपुराण पाठ विशेष फलदायी माने जाते हैं।

विशेष रूप से सावन सोमवार को कुंवारी कन्याएं उत्तम वर प्राप्ति, विवाहित महिलाएं सौभाग्य और पारिवारिक सुख, और पुरुष कर्म सिद्धि और मानसिक शांति के लिए व्रत रखते हैं। यह मास आत्मसंयम और सात्विक जीवनशैली अपनाने का भी प्रेरक काल होता है।

मंगला गौरी व्रत का भी होता है महत्व

सावन मास में मंगलवार को मंगला गौरी व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख की कामना से करती हैं। माता गौरी, जो शक्ति और सौंदर्य की प्रतीक मानी जाती हैं, को इस व्रत में विशेष रूप से पूजित किया जाता है। व्रती महिलाएं मंगल गीत गाती हैं, दीपक जलाकर कथा सुनती हैं और सौभाग्यवती स्त्रियों को सुहाग की वस्तुएं भेंट करती हैं।

धार्मिक आयोजन और आस्था की लहर

श्रावण मास के दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों में शिव मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है। विशेषकर काशी विश्वनाथ, केदारनाथ, अमरनाथ, उज्जैन के महाकालेश्वर, और देवघर के बाबाधाम जैसे शिवधामों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। कांवड़ यात्रा का भी यही महीना होता है, जब हजारों कांवड़िये दूर-दराज से जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

इस पावन माह में सात्विक आहार, व्रत, सूर्य नमस्कार, और संयमित व्यवहार अपनाकर भक्त अपने जीवन को साधना की दिशा में मोड़ते हैं। माना जाता है कि इस दौरान की गई पूजा-पाठ और व्रत के फल सैकड़ों यज्ञों के बराबर पुण्य प्रदान करते हैं।

सावन 2025 न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह आत्म-शुद्धि, संयम और शिवभक्ति का काल भी है। 11 जुलाई से आरंभ हो रहे इस माह में अगर श्रद्धा और नियमपूर्वक भगवान शिव और माता गौरी की आराधना की जाए, तो जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का वास होता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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