शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से हैं परेशान? 27 अप्रैल को शनि जयंती पर करें ये सरल उपाय, दूर होंगी जीवन की सारी बाधाएं

हर साल वैशाख माह की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष यह पावन तिथि 27 अप्रैल 2025 को आ रही है। यह दिन शनि देव के जन्मदिवस के रूप में समर्पित होता है और विशेषकर दक्षिण भारत में इसे अत्यंत श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाया जाता है। जो भी व्यक्ति इस समय शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में है, उनके लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
शनि की दृष्टि से घबराने की नहीं, उपाय करने की जरूरत है
शनि को न्याय का देवता माना गया है। वे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यदि किसी की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, तो यह समय जीवन में चुनौतियों, रुकावटों और मानसिक तनाव का संकेत हो सकता है। हालांकि ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि शनि प्रसन्न हो जाएं तो वही ग्रह व्यक्ति को राजयोग तक दे सकता है।
शनि जयंती पर करें ये विशेष उपाय
शनि जयंती का दिन शनि को प्रसन्न करने का उत्तम समय है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके काले वस्त्र पहनें और पीपल के वृक्ष की पूजा करें। सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि मंत्र का जाप करें:
“ॐ शं शनैश्चराय नमः” – इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
इसके अलावा काले तिल, उड़द, लोहे का दान, काले कंबल या चप्पल का दान करना भी शनि को शांत करने का श्रेष्ठ उपाय माना गया है। साथ ही इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना विशेष फलदायी होता है।
दक्षिण भारत में होती है विशेष पूजा
शनि जयंती पर विशेषकर तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में शनिदेव के मंदिरों में भव्य पूजा-अर्चना और अभिषेक होता है। विशेष तेल स्नान, मंत्रोच्चारण और शनि अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ इस दिन का हिस्सा होते हैं।
शनि की कृपा से दूर होती है बाधाएं और मिलती है सफलता
मान्यता है कि शनि की उपासना से केवल ग्रहदोष ही नहीं मिटते, बल्कि व्यक्ति के जीवन में अनुशासन, धैर्य और परिश्रम की भावना भी आती है। जो लोग नियमित रूप से शनि की आराधना करते हैं, उनके जीवन में स्थायित्व, सफलता और समृद्धि बनी रहती है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।