अक्षय तृतीया से पहले शनि करेंगे नक्षत्र परिवर्तन, जानिए 12 राशियों पर क्या होगा असर

अक्षय तृतीया से पहले शनि करेंगे नक्षत्र परिवर्तन, जानिए 12 राशियों पर क्या होगा असर
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ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अप्रैल का अंतिम सप्ताह बेहद खास रहने वाला है। 28 अप्रैल 2025 को न्याय के देवता शनि मीन राशि में रहते हुए पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र से निकलकर उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। यह परिवर्तन अक्षय तृतीया से ठीक पहले घटित होगा, जिसके चलते इसका प्रभाव न केवल खगोलीय दृष्टि से बल्कि सभी 12 राशियों के जीवन में भी गहरा पड़ने वाला है।

शनि का नक्षत्र परिवर्तन: क्यों है यह ज्योतिषीय घटना महत्वपूर्ण

शनि एक धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, जो जब भी किसी नक्षत्र या राशि में बदलाव करता है, तो उसका असर दीर्घकालिक होता है। वर्तमान में शनि मीन राशि में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में स्थित हैं, लेकिन 28 अप्रैल को वह उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। यह नक्षत्र शनि का ही स्वामित्व रखता है, इसलिए यह परिवर्तन विशेष प्रभावकारी माना जा रहा है। इसका असर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों—जैसे करियर, स्वास्थ्य, वैवाहिक जीवन और मानसिक स्थिति पर पड़ेगा।

अक्षय तृतीया से पहले का नक्षत्र परिवर्तन: शुभ कार्यों के संकेत या चुनौतियों की आहट?

अक्षय तृतीया हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ दिन माना जाता है, जिस दिन कोई भी कार्य बिना मुहूर्त के किया जा सकता है। ऐसे समय में शनि का नक्षत्र परिवर्तन कई लोगों के लिए सकारात्मक संकेत ला सकता है, खासकर वे लोग जो नौकरी, व्यवसाय या निवेश से जुड़े फैसले लेने की सोच रहे हैं। हालांकि कुछ राशियों को इस समय मानसिक असंतुलन या स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

राशियों पर प्रभाव: किन्हें मिलेगा लाभ, और कौन रखें सतर्कता

यह नक्षत्र परिवर्तन कुछ राशियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है, जैसे मकर, कुंभ, और वृषभ। इनके लिए यह समय कार्यस्थल पर उन्नति, मानसिक शांति और पारिवारिक संतुलन ला सकता है। वहीं मिथुन, कर्क और सिंह राशि के जातकों को संयम और धैर्य से काम लेना होगा। इन राशियों को आर्थिक निर्णयों में सतर्कता बरतनी चाहिए।

धार्मिक दृष्टिकोण और उपाय

शनि नक्षत्र परिवर्तन के दौरान विशेष पूजा-पाठ और उपाय करने की परंपरा भी है। शनिदेव की पूजा, शनिचरी अमावस्या व्रत, तेल अर्पण और पीपल वृक्ष की सेवा करने से नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। साथ ही शनि बीज मंत्र ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का जाप विशेष फलदायी होता है।

शनि का यह नक्षत्र परिवर्तन अक्षय तृतीया से पहले एक बड़ा ज्योतिषीय संकेत लेकर आ रहा है। यह समय आत्ममंथन, अनुशासन और आध्यात्मिक प्रगति का अवसर बन सकता है। राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, व्यक्ति को अपने निर्णयों में विवेक और संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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