शरद पूर्णिमा 2025: भद्रा योग के कारण क्यों है इस साल खास, जानिए शुभ-अशुभ प्रभाव

शरद पूर्णिमा 2025 पर क्यों छाया रहेगा भद्रा का असर
हिंदू पंचांग में शरद पूर्णिमा को बेहद शुभ और खास तिथि माना जाता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को आता है और इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है। परंतु इस बार 2025 में शरद पूर्णिमा पर भद्रा का साया पड़ रहा है, जिसके कारण कई शुभ कार्यों में बाधा आने की आशंका जताई जा रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा काल में किसी भी मंगल कार्य, पूजा-पाठ या नया आरंभ करना वर्जित माना जाता है।
भद्रा क्या है और क्यों माना जाता है अशुभ
पंचांग के अनुसार भद्रा काल को अमंगलकारी समय माना जाता है। भद्रा, विष्टि करण का ही एक रूप है, जो शुभ कार्यों में बाधा डालता है। मान्यता है कि भद्रा के समय किया गया कोई भी नया काम सफलता तक नहीं पहुंच पाता या उसमें रुकावट आती है। शादी-विवाह, यात्रा, गृह प्रवेश, मुहूर्त कार्य और विशेष पूजा-पाठ में भद्रा को वर्जित माना जाता है। इसी कारण से इस बार शरद पूर्णिमा पर भद्रा का प्रभाव लोगों को विशेष सतर्क रहने का संदेश देता है।
शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा को चंद्र उपासना का सबसे पावन दिन माना गया है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की चांदनी में अमृत तत्व की वर्षा होती है और इसी वजह से लोग रातभर चंद्रमा की रोशनी में रखे दूध और खीर का सेवन करते हैं। इसे स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है। साथ ही, इस दिन देवी लक्ष्मी की आराधना करने से घर में धन और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है। कई जगहों पर इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं, जिसका अर्थ है – "कौन जाग रहा है?" यानी जो व्यक्ति इस दिन रातभर जागकर पूजा करता है, उस पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है।
भद्रा के कारण क्या करें और क्या न करें
शास्त्रों के अनुसार जब शरद पूर्णिमा पर भद्रा का संयोग हो, तब भक्तों को विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। भद्रा काल में न तो कोई नया कार्य शुरू करें और न ही किसी महत्वपूर्ण पूजा का आयोजन करें। हालांकि इस दौरान सामान्य मंत्रजप, ध्यान और चंद्रमा का दर्शन करना निषिद्ध नहीं है। शरद पूर्णिमा के मुख्य अनुष्ठान जैसे खीर बनाना और उसे चंद्रमा की चांदनी में रखना लोग भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही करते हैं।
सावधानी से मनाएं शरद पूर्णिमा 2025
इस बार शरद पूर्णिमा 2025 पर भद्रा योग का संयोग बन रहा है। ऐसे में शुभ कार्यों को टालकर साधना, ध्यान, व्रत और देवी-देवताओं की आराधना पर जोर देना सबसे उत्तम रहेगा। भक्ति और श्रद्धा से किया गया कोई भी कार्य भद्रा के दोष से मुक्त होकर फलदायी माना जाता है। इसलिए इस वर्ष शरद पूर्णिमा को सावधानी और श्रद्धा के साथ मनाएं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।