शरद पूर्णिमा 2025: आश्विन मास की पूर्णिमा पर क्यों है विशेष महत्व, जानें पूजा का सही समय और विधि

शरद पूर्णिमा 2025 का महत्व
हिंदू धर्म में वर्षभर पड़ने वाली प्रत्येक पूर्णिमा का अपना अलग महत्व है, लेकिन अश्विन मास की पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा कहा जाता है, सबसे खास मानी जाती है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टि से बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य और जीवन के लिए शुभ फलदायी होता है। इसलिए इसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है—"कौन जाग रहा है।"
शरद पूर्णिमा पर देवी-देवताओं की उपासना
शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन चंद्रमा का पूजन करने का भी विधान है। श्रद्धालु व्रत रखते हैं और रातभर जागरण कर भक्ति में लीन रहते हैं। ऐसा करने से जीवन में समृद्धि, धन-धान्य और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। चंद्रमा को अर्घ्य देने और चंद्र दर्शन करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग गणना के अनुसार, अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 06 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 07 अक्टूबर 2025 की सुबह 09 बजकर 16 मिनट पर होगा।
चूंकि पूर्णिमा का उदय और चंद्र दर्शन 06 अक्टूबर को होगा, इसलिए इस वर्ष शरद पूर्णिमा का पर्व 06 अक्टूबर 2025, सोमवार को ही मनाया जाएगा।
शरद पूर्णिमा व्रत और परंपराएं
इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व बताया गया है। श्रद्धालु दिनभर व्रत रखते हैं और रात में चंद्रमा की किरणों में रखी खीर का सेवन करते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात बनाई गई खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने से उसमें अमृत तत्व समाहित हो जाते हैं। यह खीर रोगों को दूर करने और शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक मानी जाती है। साथ ही, व्रतधारक को अखंड सौभाग्य और लक्ष्मी कृपा की प्राप्ति होती है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।