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सितंबर 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत: 19 सितंबर शुक्रवार को विशेष संयोग, जानें विधि, मुहूर्त और महत्व

सितंबर 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत: 19 सितंबर शुक्रवार को विशेष संयोग, जानें विधि, मुहूर्त और महत्व
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सितंबर का अंतिम प्रदोष व्रत कब है

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के अंतर्गत आने वाला सितंबर महीने का अंतिम प्रदोष व्रत 19 सितंबर 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा। यह व्रत जब शुक्रवार को आता है तो इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि यह न केवल भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में सौभाग्य भी लाता है।

शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व

शुक्रवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत विशेष रूप से परिवारिक जीवन, दांपत्य सुख और आर्थिक उन्नति के लिए शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और शिव-पार्वती की उपासना करने से जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं। साथ ही, भक्त को मनचाहा जीवनसाथी और दांपत्य जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।

पूजा विधि

इस दिन व्रती प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लेता है और दिनभर उपवास करता है। संध्या समय जब प्रदोष काल आरंभ होता है, तब शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, और सफेद पुष्प अर्पित किए जाते हैं। माता पार्वती की भी पूजा कर श्रृंगार सामग्री अर्पित करना फलदायी माना जाता है। रात्रि में शिव चालीसा, मंत्रजप और आरती करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

व्रत का मुहूर्त

प्रदोष व्रत में पूजा का सबसे उत्तम समय सूर्यास्त के बाद से लेकर रात्रि के पहले पहर तक होता है। इस समय को ही प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि इस अवधि में की गई पूजा भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय होती है और भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

पौराणिक मान्यता

शास्त्रों में कहा गया है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्त को रोग, दुख और संकट से मुक्त करते हैं। शुक्र प्रदोष व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ है जो दांपत्य जीवन में सामंजस्य, सौभाग्य और शांति की कामना करते हैं। इसके अलावा, इस दिन व्रत करने से परिवार में धन, वैभव और लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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