झारखंड CGL: 'परीक्षा रांची में, साजिश नेपाल में', हेमंत सोरेन का बड़ा दावा
30 महीने के इंतजार के बाद 1910 युवाओं को मिली नौकरी, लेकिन नियुक्ति पत्र बांटते हुए सीएम सोरेन ने पेपर लीक को लेकर किया चौंकाने वाला खुलासा।

रांची: झारखंड में सरकारी नौकरी की बाट जोह रहे युवाओं के लिए 30 महीने का लंबा और थका देने वाला इंतजार आखिरकार खत्म हो गया। रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा (सीजीएल)-2023 में सफल हुए 1910 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपे। हालांकि, यह आयोजन केवल नौकरी मिलने की खुशी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मुख्यमंत्री ने इस मंच का उपयोग परीक्षा में हुई धांधली के 'अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन' को उजागर करने के लिए किया।
नेपाल कनेक्शन और 'साजिश' का आरोप
नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पेपर लीक मामले पर एक गंभीर और चौंकाने वाली बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि सीजीएल परीक्षा को बाधित करने के लिए एक सुनियोजित साजिश रची गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा, "परीक्षा झारखंड में आयोजित की गई थी, लेकिन इसका पेपर लीक नेपाल में कराया गया।"
मुख्यमंत्री के अनुसार, यह कोई साधारण प्रशासनिक चूक नहीं थी, बल्कि एक संगठित गिरोह का काम था जिसका उद्देश्य भर्ती प्रक्रिया को बदनाम करना और युवाओं को गुमराह करना था। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार ने कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर इस 'नेटवर्क' को ध्वस्त किया, जिसके परिणामस्वरूप आज ये नियुक्तियां संभव हो पाई हैं। उनका यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि राज्य में नियुक्तियों को लेकर चल रही राजनीति के तार कितने गहरे जुड़े हुए हैं।
कोयला चुनने वाले हाथों में अब नियुक्ति पत्र
आंकड़ों और राजनीति से इतर, इस सफलता के पीछे मानवीय संघर्ष की कई कहानियां हैं। हजारीबाग के सुरेंद्र की कहानी राज्य की सामाजिक वास्तविकता को बयां करती है। सुरेंद्र, जो कभी परिवार का पेट पालने के लिए कोयला चुनने का काम करते थे, अब सरकारी अधिकारी बन गए हैं।
मंगलवार को जब उन्हें नियुक्ति पत्र मिला, तो यह केवल एक कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार के लिए एक नए जीवन की शुरुआत थी। सुरेंद्र अपने परिवार के पहले सदस्य हैं जो सरकारी सेवा में आए हैं। इसी तरह कोडरमा के दिव्यांग अभ्यर्थी अनिल रजक की कहानी ने मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री को भी भावुक कर दिया। 2019 में पिता की मृत्यु के बाद विषम परिस्थितियों में संघर्ष करने वाले अनिल ने जब मुख्यमंत्री को अपना दर्द और डर बयां किया, तो सोरेन की आंखें नम हो गईं। अनिल ने बताया कि विवादों के बीच उन्हें डर था कि कहीं पूरी प्रक्रिया ही रद्द न हो जाए।
किन पदों पर हुई है नियुक्ति?
जेएसएसससी (JSSC) द्वारा ली गई इस परीक्षा के जरिए राज्य प्रशासन के विभिन्न विभागों में रिक्तियां भरी गई हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर (ASO) की है, जिनके 847 पद भरे गए हैं। इसके अलावा:
* कनीय सचिवालय सहायक: 288
* प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी: 249
* प्रखंड कल्याण पदाधिकारी: 191
* अंचल निरीक्षक: 178
* श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी: 170
सामाजिक समीकरणों को देखें तो कुल नियुक्तियों में अनुसूचित जाति (SC) वर्ग से 786 और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग से 543 अभ्यर्थी शामिल हैं। वहीं, 219 महिलाओं और 59 दिव्यांग जनों ने भी सफलता का परचम लहराया है।
मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त अधिकारियों को 'राज्य का स्तंभ' बताते हुए ईमानदारी से काम करने की नसीहत दी। अब देखने वाली बात यह होगी कि लंबी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के बाद सिस्टम का हिस्सा बने ये युवा अधिकारी, राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में कितना बदलाव ला पाते हैं।
