काशी का स्वर्वेद धाम बना आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र 25 हजार महाकुंडों में एक साथ उठी यज्ञ की दिव्य ज्वाला
स्वर्वेद महामंदिर धाम में विहंगम योग संत समाज के 102वें वार्षिकोत्सव पर 25 हजार कुंडीय महायज्ञ जारी है जिसमें भारत और 19 देशों से आए डेढ़ लाख अनुयायी आहुतियां अर्पित कर रहे हैं। संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने यज्ञ को सनातन संस्कृति की आत्मा बताया।

Swerved Mahamandir Dham में 25 हजार यज्ञ कुंडों में आहुति देते श्रद्धालु
विहंगम योग संत समाज के 102वें वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को स्वर्वेद महामंदिर धाम आध्यात्मिक सुगंध और वैदिक स्वर लहरियों से भरा दिखाई दिया। सुबह से ही सदाफल देव द्वारा रचित स्वर्वेद तीर्थ हवन की तैयारी जोरों पर रही और जैसे ही अनुष्ठान शुरू हुआ, पूरा परिसर वैदिक मंत्रों की अनुगूंज में डूब गया। भारत सहित 19 देशों से आए करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ में आहुतियां अर्पित कर रहे हैं और सर्व जन कल्याण की प्रार्थना कर रहे हैं।

महायज्ञ के लिए पथमेड़ा गौधाम, राजस्थान से बिलोना घी मंगाया गया है। इसके साथ ही नैसर्गिक जड़ी बूटियां, गो पदार्थ, दुर्लभ औषधियां, सुगंधित द्रव्य और पवित्र लकड़ियों का उपयोग किया जा रहा है। दो सौ एकड़ में फैला पूरा कार्यक्रम स्थल बुधवार को श्रद्धालुओं की आवाजाही से जीवंत हो उठा है। इनमें से चालीस एकड़ क्षेत्र में 25 हजार हवन कुंड बनाए गए हैं जबकि यज्ञ परिसर को 108 प्राचीन ऋषि-महर्षियों के नाम पर विभाजित किया गया है।
बुधवार शाम समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव होना है जिसमें संविधान दिवस के अवसर पर एक लाख दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। मंगलवार को ‘अ’ अंकित ध्वजा फहराकर दो दिवसीय महोत्सव की शुरुआत की गई थी। इसके बाद स्वर्वेद महाग्रंथ का संगीतमय पाठ हुआ और संत प्रवर विज्ञान देव महाराज की वाणी ने वातावरण को आध्यात्मिकता से भर दिया।

स्वर्वेद महामंदिर धाम में आज 25 हजार यज्ञ ज्वालाओं का सामूहिक प्रकाश, मंत्रोच्चार और हजारों श्रद्धालुओं की आस्था एक अलग ही दृश्य रच रही है। डेढ़ लाख दंपति सुबह से ही हवन कुंडों में आहुतियां अर्पित कर रहे हैं। संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने आज अपने संबोधन में कहा कि यज्ञ सनातन संस्कृति की आत्मा है और यह त्याग, शुद्धि और कल्याण की भावना जगाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि ज्ञान की अग्नि, कर्म की अग्नि और विचारों की शुद्ध अग्नि हमेशा प्रज्वलित रहनी चाहिए। यज्ञ अशुभ का दहन और शुभ का पोषण सिखाता है। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती पर बोलते हुए स्पष्ट किया कि यज्ञ का धुआं प्रदूषण नहीं बल्कि औषधीय जड़ी बूटियों से उत्पन्न दिव्य धूम है जो वातावरण को शुद्ध करता है।
आचार्य स्वतंत्र देव महाराज के अनुसार महायज्ञ का प्रभाव केवल धाम तक सीमित नहीं रहा बल्कि काशी के वातावरण में भी दिव्यता का प्रसार हो रहा है।
वार्षिकोत्सव के लिए धाम को रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया गया है। विदेशों से आए श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, स्विट्जरलैंड, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया सहित 19 देशों के अनुयायी और भारत के लगभग हर राज्य से भक्त आज धाम पहुंच रहे हैं।
उमरहां बाजार से लेकर डुबकियां बाजार तक तीन किलोमीटर की परिधि में रोशनी और सजावट की गई है। सभी अतिथि गृहों की व्यवस्था पूरी कर ली गई है। मंगलवार रात जय स्वर्वेद कथा का सांस्कृतिक पाठ हुआ जिसमें संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने कहा कि स्वर्वेद जीवन का आधार है और यह मनुष्य को व्यापक कल्याण की भावना से जोड़ता है।

आज सुबह आठ बजे से यज्ञ आहुतियां शुरू हो चुकी हैं और शाम को दिव्य कथा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होना है। पूरा स्वर्वेद महामंदिर धाम इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा है और हजारों श्रद्धालुओं के आगमन से क्षेत्र में उत्सव का माहौल बना हुआ है।

