यूपी सरकार का बड़ा फैसला: आधार अब जन्मतिथि प्रमाण नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार ने UIDAI लखनऊ कार्यालय के पत्र का हवाला देते हुए आदेश दिया है कि आधार कार्ड अब जन्म प्रमाणपत्र के रूप में मान्य नहीं होगा, विभागों को निर्देश जारी

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए स्पष्ट किया है कि अब आधार कार्ड को जन्मतिथि या जन्म प्रमाणपत्र के रूप में मान्य नहीं माना जाएगा। योजना विभाग के विशेष सचिव अमित सिंह बंसल ने इस संबंध में सभी विभागों को निर्देश जारी किए हैं। उनका कहना है कि आधार में जन्मतिथि जरूर दर्ज होती है, लेकिन इसका कोई आधिकारिक जन्म प्रमाण पत्र से लिंक नहीं है। इसलिए इसे बर्थ सर्टिफिकेट के रूप में नहीं देखा जा सकता।
इस निर्देश के लिए UIDAI लखनऊ कार्यालय के पत्रांक 16013/4/2020-RO-LKO/5416 दिनांक 31 अक्टूबर का हवाला दिया गया, जिसमें यह जानकारी दी गई थी कि आधार कार्ड जन्मतिथि का अनुमन्य प्रमाण नहीं है। हालांकि अभी कुछ विभाग आधार को जन्मतिथि प्रमाण के रूप में स्वीकार कर रहे हैं, इसलिए राज्य सरकार ने सभी विभागों को यह निर्देश दिया है कि वे इस निर्णय का पालन करें।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि इससे धोखाधड़ी पर रोक लगेगी। उन्होंने उदाहरण दिया कि कुछ लोग अपने बच्चों की उम्र घटाकर पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज में फेरबदल करते हैं। वहीं, सपा सांसद लालजी वर्मा ने इसे पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ साजिश बताया और कहा कि जिनके पास आधार ही एकमात्र पहचान है, उनके नाम मतदाता सूची से कट सकते हैं।
इस नए आदेश का असर सीधे नागरिकों पर पड़ेगा, खासकर उन लोगों पर जिनके पास अन्य वैध जन्मतिथि दस्तावेज नहीं हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि भविष्य में सभी सरकारी और विभागीय कार्यों में आधार कार्ड केवल पहचान दस्तावेज के रूप में ही मान्य होगा, जन्मतिथि प्रमाण के रूप में नहीं।

