STF का फरार सिपाही आलोक सिंह गिरफ्तार, कोडीन कांड में नए खुलासे होने के कयास
STF ने लखनऊ से फरार बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह को गिरफ्तार किया। कफ सिरप तस्करी, दुबई लिंक, फर्जी कंपनियों और पूर्व सांसद से संबंधों को लेकर जांच और तेज हुई।

लखनऊ. कोडीन कफ सिरप तस्करी के मामले में फरार चल रहे बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह आखिरकार STF ने गिरफ्तार कर लिया। मंगलवार सुबह उसे लखनऊ से गिरफ्तार किया गया। एक दिन पहले ही लुकआउट नोटिस जारी हुआ था क्योंकि आशंका थी कि वह कभी भी विदेश भाग सकता है। यूपी STF आलोक सिंह की तलाश कोडीनयुक्त नशीले कफ सिरप की अवैध सप्लाई वाले सिंडीकेट में अहम भूमिका निभाने के आरोप में कर रही थी।
वायरल तस्वीरों से बढ़ी मुश्किलें
हर बीतते दिन के साथ इस मामले की आंच बढ़ती का रही है और कई नए खुलासे हो रहे हैं। आलोक की कई तस्वीरें पूर्वांचल के एक बाहुबली और पूर्व सांसद के साथ वायरल हो रही हैं। कई तस्वीरों में उसे पूर्व सांसद और अमित टाटा के साथ देखा गया है।
STF पूछताछ में आत्मसमर्पण का दावा
STF की पूछताछ में आलोक ने दावा किया कि वह आत्मसमर्पण करने कोर्ट जा रहा था और इसके लिए उसने अर्जी भी लगा रखी थी। लेकिन तकनीकी निगरानी और लगातार पीछा करने के बाद STF ने उसे कोर्ट पहुँचने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया।
सोना लूटकांड से लेकर बहाली तक का सफर
साल 2006 में लखनऊ के जेल रोड सोना लूटकांड में भी आलोक सिंह का नाम सामने आया था। एक कारोबारी से चार किलो सोना लूटने के इस केस में पांच पुलिसकर्मियों समेत सात लोग आरोपी बने थे। बाद में सत्र अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी को बरी कर दिया। पुलिस ने इस मामले में तीन किलो सोना बरामद करने का दावा किया था।
रसूखदारों से नजदीकियों का सिलसिला
सोना लूटकांड में नाम आने के बाद आलोक और सुशील पचौरी को सेवा से हटाया गया था, हालांकि बाद में बहाली मिली। इसी बीच आलोक पर नाका क्षेत्र में व्यापारी से लूट जैसे गंभीर आरोप लगे और उसे लाइन हाजिर किया गया। इसी समय उसकी मुलाकात और नजदीकियां पूर्व सांसद से बढ़ीं। इसके बाद वह रियल एस्टेट और दूसरे कारोबारों में तेजी से पैर पसारने लगा।
2019 के बड़े मामले में फिर बर्खास्तगी
साल 2019 में हजरतगंज इलाके में हुए एक बड़े कांड में उसका नाम सामने आया था। तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने उसे फिर बर्खास्त कर दिया। आलोक की तस्वीरें कई बड़े लोगों के साथ वायरल हुईं, जिससे पता चला कि वह किस तरह रसूखदारों के बीच अपनी जगह बना रहा था।
कफ सिरप तस्करी में बढ़ती भूमिका
कफ सिरप तस्करी के नेटवर्क में आलोक का नाम पहले गाजियाबाद की एफआईआर में आया था। बाद में लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने की विवेचना में भी उससे जुड़े नए तथ्य सामने आए। आरोप है कि पूरे सिंडीकेट को संरक्षण देने में उसकी भूमिका संदिग्ध थी।
फर्जी कंपनियों के तार और नया जाल
एसटीएफ की ताजा कार्रवाई में कई बड़ी कड़ियाँ खुलने की उम्मीद है क्योंकि इस पूरे नेटवर्क की डोर कई फर्जी कंपनियों, ई बिल, जीएसटी नंबर और अत्यधिक लेन देन से जुड़ी बताई जाती है। मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल और उसके साझेदारों पर आरोप है कि वे दुबई से पूरा नेटवर्क चला रहे थे शुभम की कंपनी शैली ट्रेडर्स उसके पिता के नाम पर थी। सोनभद्र पुलिस ने हाल ही में शुभम के पिता भोला जायसवाल को कोलकाता एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया जब वह विदेश भागने की तैयारी में था।
ग्यारह फर्मों पर केस और दर्जनों कार्रवाई
छह राज्यों में ग्यारह फर्मों पर केस दर्ज हैं और करीब अट्ठानवे मामलों में कार्रवाई की जा चुकी है। इसी बीच अमित टाटा की गिरफ्तारी के बाद से आलोक का नाम और तेजी से सामने आने लगा। चर्चा यह भी है कि पूर्व सांसद के संरक्षण ने उसे अब तक बचाए रखा था।
नए घर की पार्टी और वायरल वीडियो
जांच के दौरान यह जानकारी भी सामने आई कि कुछ समय पहले आलोक ने अपने नए घर की पार्टी रखी थी जिसमें अमित टाटा समेत कई आरोपी शामिल हुए थे। इनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए और अब SIT ने इन्हें भी जांच में शामिल कर लिया है।
SIT का गैंग चार्ट और बढ़ती जांच
SIT पूरे नेटवर्क का गैंग चार्ट तैयार कर रही है। शुभम जायसवाल, वरुण, गौरव, अमित टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह समेत सभी नाम शामिल हैं। जिन लोगों ने किसी तरह इस नेटवर्क की मदद की, लेन देन किया या फर्जी दस्तावेजों से कंपनियों में भूमिका निभाई, सबके नाम सामने आएंगे। इसके लिए तीन विशेष टीम लगाई गई हैं।
जांच एजेंसियों का दावा है कि जल्द ही पूर्वांचल के एक बड़े माफिया से भी पूछताछ होगी। उसके तीन फोन की कॉल डिटेल मंगाई गई है और उसमें अमित टाटा और शुभम की पहले की कॉल्स भी सामने आई हैं।
ईडी की जांच और सौ करोड़ का खुलासा
इसं बीच इस मामले में ईडी ने भी जांच शुरू कर दी है। इससे मनी लॉन्ड्रिंग की दिशा में बड़ा खुलासा होना संभव माना जा रहा है। एजेंसियों के मुताबिक करीब सौ करोड़ से अधिक का अवैध कारोबार सामने आया है। ईडी बैंकिंग रिकॉर्ड, विदेश यात्राओं और हलचल से जुड़े हर दस्तावेज की भी जांच करेगी।
दोनों घरों की जांच और मतदाता सूची में नाम
आलोक के दोनों घरों का भी रिकॉर्ड जुटाया जा रहा है। उसका पैतृक घर चंदौली में है और वर्तमान में वह लखनऊ के नाका क्षेत्र के मोतीनगर में वह रहता रहा है। उसका नाम जौनपुर की वोटर लिस्ट में होने की भी पुष्टि हुई है और कहा जा रहा है कि उसके नाम से एसआईआर का फॉर्म भी भरा गया।
STF के लिए अहम गिरफ्तारी
STF आलोक सिंह की गिरफ्तारी को इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम मान रही है क्योंकि अब कई अनसुलझे सवालों के जवाब सीधे उसी से मिलने हैं।

