USCIRF की रिपोर्ट पर बड़ी प्रतिक्रिया, संत समाज की दो टूक चेतावनी

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने USCIRF की रिपोर्ट को भारत विरोधी बताया और कड़ी चेतावनी दी

USCIRF की रिपोर्ट पर बड़ी प्रतिक्रिया, संत समाज की दो टूक चेतावनी
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अमेरिकी सरकार की संस्था USCIRF की ताजा रिपोर्ट पर अखिल भारतीय संत समिति ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संत राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत की संप्रभुता और उसकी सांस्कृतिक विरासत को अपमानित करने की सोची समझी कोशिश लगती है। USCIRF report India को संत समाज ने दुर्भावनापूर्ण बताया है।



विदेश से छेड़ा गया यह नया विवाद क्या है


कहानी थोड़ा पीछे जाती है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश में एक सकारात्मक माहौल बना था और उसी के बाद से विदेशों में कुछ संस्थाएं भारत को निशाने पर ले रही हैं। संत समाज के अनुसार यह कोई अचानक हुआ विवाद नहीं बल्कि एक सिलसिलेवार कोशिश है।


स्वामी जीतेन्द्रानंद का कहना है कि कभी भारत में ब्राह्मण वर्चस्व की थ्योरी फैलाई जाती है और कभी minority rights के नाम पर उलझन बढ़ाने की कोशिश। ऐसी बातें सुनकर कोई भी सोच में पड़ जाता है कि आखिर यह सब किसके इशारे पर हो रहा है।


उन्होंने यह भी कहा कि USCIRF भारत में हिंसा के झूठे दावे कर रही है जबकि धरातल पर हालात बिल्कुल अलग हैं। यहां अल्पसंख्यकों को संविधान के तहत हर तरह की सुरक्षा दी जाती है और कई मामलों में वे बहुसंख्यकों से अधिक लाभ पाते हैं।


पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति पर क्यों चुप रहते हैं ये संस्थान


संत समाज का आरोप है कि अगर किसी को धार्मिक स्वतंत्रता की चिंता है तो पहले वह भारत के पड़ोसी देशों के हालात देखे। बांग्लादेश में जहां हिंदू कभी सोलह प्रतिशत थे वे अब आधे से भी कम बचे हैं। पाकिस्तान में तो हालत और भी खराब हो चुके हैं। अफगानिस्तान का तो एक ही हिंदू नाम लिया जाता है क्योंकि वहां अब हिंदू लगभग गायब हो चुके हैं।


इस तुलना को देखकर सच में सवाल उठता है कि USCIRF की नजरें केवल भारत पर ही क्यों टिक जाती हैं। दुनिया में कहीं और हिंदुओं पर हुए अत्याचारों की इन एजेंसियों ने कभी कोई रिपोर्ट जारी नहीं की।



संत समिति ने यह भी कहा कि USCIRF की यह रिपोर्ट केवल एक कागजी दस्तावेज नहीं बल्कि किसी बड़े खेल का हिस्सा लगती है। उनके शब्दों में इसमें CIA की चालें और कुछ जगह पाकिस्तानी ISI और बांग्लादेशी एजेंसियों की गंध महसूस होती है। संत समाज का मानना है कि भारत को अस्थिर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई झूठ फैलाए जा रहे हैं।



राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बात भी उठी


स्वामी जीतेन्द्रानंद ने याद दिलाया कि श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर किसी सरकार की कृपा से नहीं बना बल्कि पांच सौ साल के संघर्ष और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का परिणाम है।


यह तथ्य कि फैसले के बाद मुसलमान समुदाय के कई प्रतिनिधियों ने इसे स्वीकार भी किया इस बात का प्रमाण है कि भारत में सामंजस्य किसी से सीखने की चीज नहीं। USCIRF ने इन अहम बिंदुओं को अपनी रिपोर्ट में जगह तक नहीं दी।


अखिल भारतीय संत समिति ने कहा कि अगर अमेरिकी एजेंसियां इस तरह का हस्तक्षेप जारी रखती हैं तो भारत अपने संबंधों पर पुनर्विचार करेगा। समिति आगामी नौ और दस दिसम्बर 2025 को राष्ट्रीय बैठक में इस विषय पर रणनीति तय करेगी।

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