वैशाख अमावस्या 2025, पितृ दोष से मुक्ति और पूर्वजों की कृपा के लिए जरूर करें ये पुण्य कार्य

27 अप्रैल 2025, रविवार को वैशाख मास की अमावस्या तिथि पड़ रही है, जो पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, तो उसके जीवन में बाधाएं, मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह, आर्थिक संकट और संतान संबंधी समस्याएं लगातार बनी रहती हैं। लेकिन अमावस्या का दिन विशेष रूप से ऐसा माना गया है, जब पूर्वजों की आत्मा को तृप्त कर उनके आशीर्वाद से इन सभी संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है।
पितृ दोष क्या है और क्यों होता है?
पितृ दोष को कर्मज दोष भी कहा जाता है, जो किसी पूर्व जन्म या वर्तमान जीवन में पितरों के प्रति किए गए किसी अनजाने अपराध या कर्तव्यों की अवहेलना के कारण उत्पन्न होता है। मान्यता है कि यदि किसी पूर्वज की मृत्यु के बाद उन्हें विधिपूर्वक श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान न मिले, तो उनकी आत्मा अशांत रहती है और वही पितृ दोष के रूप में जन्म-जन्मांतर तक संतानों को प्रभावित करती है। कुंडली में सूर्य, चंद्र और राहु-केतु की अशुभ स्थिति भी पितृ दोष का संकेत देती है।
वैशाख अमावस्या पर क्यों महत्वपूर्ण है पितृ तर्पण?
वैशाख अमावस्या को स्नान, दान, तर्पण और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। खासकर पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों के नाम तर्पण करने से उनके मन को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। यह दिन इसलिए भी विशेष होता है क्योंकि यह समय सूर्य के मेष राशि में होने का होता है, जो आत्मा का प्रतीक है। अतः आत्मीय संबंधों की मुक्ति और कृपा के लिए यह समय अत्यंत फलदायक होता है।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय:
1. सूर्योदय से पहले पवित्र नदी या तीर्थ स्नान करें
वैशाख अमावस्या के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पास की किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें। यदि नदी स्नान संभव न हो तो घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के समय ‘ॐ पितृभ्यः नमः’ मंत्र का जप करें।
2. पितरों के नाम तर्पण और पिंडदान करें
स्नान के बाद पितरों के नाम तिल, जल, दूध, गंगाजल और कुश से तर्पण करें। तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके श्रद्धा भाव से पूर्वजों को स्मरण करें। जरूरत हो तो किसी ब्राह्मण से विधिवत पिंडदान करवाएं।
3. गरीबों और ब्राह्मणों को अन्न-दान दें
इस दिन चावल, तिल, वस्त्र, गुड़, घी, फल और दक्षिणा का दान गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को करें। भोजन के साथ जल से भरा कलश, एक दीपक और तुलसी दल भी अर्पित करें। मान्यता है कि यह दान पितरों तक सीधा पहुंचता है।
4. भगवान विष्णु और यमराज की पूजा करें
अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से पूर्वजों को शांति मिलती है। इसके साथ ही यमराज के नाम दीपदान करने से भी पितृ दोष में शांति आती है।
5. पीपल वृक्ष की पूजा करें और दीपक जलाएं
पीपल को पितृ और देवताओं का वास स्थल माना गया है। इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात बार उसकी परिक्रमा करें। जल अर्पण करते समय ‘ॐ नमः भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
वैशाख अमावस्या न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी अत्यंत शुभ अवसर होता है, जब आप अपने पितरों को श्रद्धा अर्पित कर उनके आशीर्वाद से जीवन की बाधाओं को दूर कर सकते हैं। यह दिन आत्मशुद्धि, पापों से मुक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर होता है। यदि आप सच में पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो इस अमावस्या को व्यर्थ न जाने दें — श्रद्धा से किए गए ये सरल उपाय आपके जीवन में चमत्कारी परिवर्तन ला सकते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।