इस बार वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती का दुर्लभ योग, इन सरल उपायों से पीढ़ियों तक रहेगा सुख-समृद्धि का वास

इस बार वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती का दुर्लभ योग, इन सरल उपायों से पीढ़ियों तक रहेगा सुख-समृद्धि का वास
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इस वर्ष का वैशाख मास अपने साथ एक खास आध्यात्मिक संयोग लेकर आया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 27 अप्रैल 2025 को वैशाख अमावस्या पड़ रही है, और इसी दिन शनि देव की जन्मतिथि — शनि जयंती — का पर्व भी मनाया जाएगा। यह अद्वितीय संयोग बहुत कम बार बनता है, जब अमावस्या तिथि पर शनिदेव का जन्मोत्सव भी आता है। ऐसे में यह दिन धार्मिक, ज्योतिषीय और कर्मफल की दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।

शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा और कुछ विशेष उपाय करने से न केवल व्यक्ति के वर्तमान जीवन की समस्याएं दूर होती हैं, बल्कि कहा जाता है कि इसका प्रभाव पीढ़ियों तक बना रहता है। शास्त्रों के अनुसार, शनि देव कर्मों के दंडदाता हैं, लेकिन वे उतने ही न्यायप्रिय और कृपालु भी हैं। यदि व्यक्ति सच्चे मन से उनकी आराधना करे, और अनुशासित जीवन जीने का संकल्प ले तो शनि देव उसकी दशा और दिशा दोनों बदल सकते हैं।

अमावस्या तिथि का भी विशेष महत्व है। इस दिन जलाशयों में स्नान, दान-पुण्य, तर्पण और पितृों की शांति के लिए कार्य करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। लेकिन जब यही अमावस्या शनिदेव की जयंती के साथ आए, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन की गई पूजा, तप और सेवा न केवल शनि दोष को दूर करती है, बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी आने वाली परेशानियों को भी समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है।

शनि अमावस्या पर करें ये विशेष उपाय:

1. काले तिल और सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें और ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।

2. एक कटोरी में सरसों का तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर वह तेल शनि मंदिर में दान करें। यह उपाय शनि के अशुभ प्रभावों कोकम करता है।

3. इस दिन काली वस्तुएं जैसे काले तिल, काले कपड़े, काले चने, लोहे के बर्तन आदि दान करें। यह आपके कर्मों का भार हल्का करता है और जीवन में नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

4. गरीबों, असहायों, विधवाओं या शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को भोजन कराना और वस्त्र दान करना इस दिन विशेष फलदायक होता है। इससे न केवल शनि की प्रसन्नता मिलती है, बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

5. पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें। पीपल को जल अर्पित करते समय ‘ॐ नमः भगवते वासुदेवाय’ का जप करें।

27 अप्रैल 2025 को बनने जा रहा शनि जयंती और वैशाख अमावस्या का यह महासंयोग एक दुर्लभ अवसर है। यदि इस दिन श्रद्धा, सेवा और साधना के साथ शनिदेव की पूजा की जाए, तो न केवल जीवन के वर्तमान संकटों से मुक्ति मिल सकती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी इस पुण्यफल का लाभ उठा सकती हैं।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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