13 अप्रैल से आरंभ हुआ वैशाख मास, पुण्य, परंपरा और पर्वों का पावन संगम

13 अप्रैल से आरंभ हुआ वैशाख मास, पुण्य, परंपरा और पर्वों का पावन संगम
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हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा के बाद जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तभी वैशाख मास की शुरुआत होती है। इस वर्ष 13 अप्रैल से यह पवित्र माह आरंभ हो चुका है, जिसे सनातन परंपरा में अत्यंत पुण्यदायी और फलदायक माना गया है। यह मास न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है।

माधव मास के नाम से भी होता है विख्यात

वैशाख को माधव मास के रूप में भी जाना जाता है, और इस विशेष नाम के पीछे गहरा आध्यात्मिक महत्व छिपा है। यह नाम स्वयं भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है, जिनका एक नाम माधव भी है। इस महीने में श्रीकृष्ण के माधव रूप की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस मास में विधिवत पूजा, व्रत, जप और दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

स्नान और दान का बढ़ता है महत्व

वैशाख मास में प्रातःकाल तीर्थस्नान, विशेष रूप से गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा अत्यंत शुभ मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि इस मास में स्नान से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं। साथ ही, अन्न, जल, वस्त्र और गाय आदि का दान करने से दस गुना पुण्य प्राप्त होता है। विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने से आत्मिक शांति का अनुभव होता है।

वैशाख माह में होते हैं कई शुभ पर्व और व्रत

वैशाख का महीना पर्व-त्योहारों से भरा हुआ रहता है। इस मास में अक्षय तृतीया, नारद जयंती, परशुराम जयंती, वैशाख पूर्णिमा, और सत्यनारायण व्रत जैसे पवित्र आयोजन आते हैं। अक्षय तृतीया को तो त्रेता युग का आरंभ दिवस भी कहा जाता है और इस दिन किए गए दान-पुण्य का अक्षय फल मिलता है। साथ ही इस मास में विवाह, गृह प्रवेश और यज्ञ जैसे मांगलिक कार्य अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

आध्यात्मिक साधना और तप का उत्तम समय

वैशाख मास को आत्मविकास और साधना के लिए उत्तम समय बताया गया है। इस महीने में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ध्यान, जप, योग और वेद पाठ करना विशेष लाभकारी माना गया है। भक्तजन तुलसी के पौधे की पूजा करते हैं और व्रत उपवास के माध्यम से अपने जीवन को संयमित करते हैं।

वैशाख मास एक ऐसा अवसर है जब व्यक्ति अपने जीवन में आध्यात्मिकता और धार्मिकता को और गहराई से आत्मसात कर सकता है। यह मास न केवल धर्मिक आस्था को प्रबल करता है, बल्कि समाज और परिवार में शुभता और समृद्धि का संदेश भी देता है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि हम वैशाख मास की महत्ता को समझें और अपने जीवन में इसे श्रद्धा और उत्साह के साथ अपनाएं।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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