वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 2025: सिद्धि योग के साथ मनाया जाएगा संकट नाशक व्रत

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाने वाली वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी इस वर्ष विशेष संयोग लेकर आ रही है। इस दिन करवा चौथ का पर्व भी मनाया जाएगा, जिससे इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व और अधिक बढ़ गया है। इस दिन सिद्धि योग बन रहा है, जो हर प्रकार के कार्यों में सफलता और शुभ फल प्रदान करने वाला योग माना जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, जो भी व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत का पालन करता है, उसके जीवन से सभी प्रकार के संकट और बाधाएं दूर हो जाती हैं।
गणेश और चंद्रमा की संयुक्त पूजा का विशेष महत्व
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप की विशेष पूजा का विधान है। वक्रतुंड गणेश सभी विघ्नों का नाश करने वाले माने गए हैं। इस दिन भक्त सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं और गणेश जी की आराधना करते हैं। शाम के समय पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी और चंद्रमा दोनों की संयुक्त पूजा करने से मनुष्य को न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि परिवार में समृद्धि और सौभाग्य भी बढ़ता है।
संकष्टी चतुर्थी पर सिद्धि योग का शुभ प्रभाव
इस बार वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर सिद्धि योग का बनना अत्यंत शुभ माना गया है। सिद्धि योग में किया गया व्रत और पूजा कई गुना अधिक फलदायी होती है। यह योग विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ है जो अपने जीवन में रुकावटों, आर्थिक परेशानियों या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस दिन व्रत रखने से न केवल संकटों का नाश होता है, बल्कि व्यक्ति की इच्छाएं भी पूरी होती हैं।
व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी व्रत 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि रहेगी। व्रतधारियों को दिनभर निर्जला उपवास रखकर रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद अर्घ्य देना चाहिए। इसके पश्चात पारण कर व्रत को पूर्ण किया जाता है।
संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
संकष्टी चतुर्थी को ‘संकटों से मुक्ति का पर्व’ कहा गया है। ‘संकष्टी’ शब्द का अर्थ है — संकट का नाश करने वाली। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही बाधाएं समाप्त होती हैं और उसे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। जो भक्त सच्चे मन से इस दिन गणेश जी की आराधना करते हैं, उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
इस बार वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ का एक साथ पड़ना अत्यंत शुभ और दुर्लभ संयोग है। सिद्धि योग के बनने से यह व्रत और भी प्रभावशाली बन जाएगा। इस दिन गणेश जी और चंद्रमा की पूजा से भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा, सफलता और सौभाग्य का संचार होगा। जो भी श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करेगा, उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और मंगल फल प्राप्त होंगे।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।