बनारस: एक दिन की ख़बरों में छिपी अपराध, गौरव और रहस्य की कहानियाँ

कोडीन सिरप के अवैध व्यापार पर कड़ा एक्शन, 28 फार्मेसियों पर केस और RMP प्रिस्क्रिप्शन अनिवार्य; कैंट स्टेशन पर एस्केलेटर बंद, जैविक खेती प्रशिक्षण और संदिग्ध अफगानी नागरिक से पूछताछ की खबरें

रेडियो चौबेपुर
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किसी भी शहर की रोज़ की ख़बरें पहली नज़र में घटनाओं का एक बिखरा हुआ संग्रह लग सकती हैं। लेकिन जब आप इन ख़बरों को एक साथ रखकर देखते हैं, तो शहर का असली, अनूठा और अक्सर विरोधाभासी चरित्र आश्चर्यजनक रूप से सामने आता है। यह लेख वाराणसी की एक ही दिन की ख़बरों में छिपी कुछ सबसे हैरान करने वाली और प्रभावशाली कहानियों को उजागर करता है।


1. एक आम दवा का घोटाला: खाँसी के सीरप ने कैसे पूरे प्रदेश में फैला दिया अपराध का जाल


वाराणसी और आसपास के ज़िलों में कोडीन युक्त कफ सीररप का एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसकी जड़ें गहरी और जानलेवा हैं। पुलिस ने इस नेटवर्क के मास्टरमाइंड के पिता, भोला प्रसाद, को कोलकाता एयरपोर्ट से उस समय गिरफ्तार किया जब वह देश से भागने की तैयारी में था। यह कोई छोटा-मोटा अपराध नहीं था। इस अपराध का पैमाना चौंकाने वाला है: उत्तर प्रदेश के 6 ज़िलों में 11 फर्मों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, और कुल 98 फार्मेसियों पर मुकदमा चल रहा है, जिनमें सबसे ज़्यादा 28 फर्में अकेले वाराणसी में हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए, सरकार ने अब नियम बना दिया है कि कोडीन युक्त सीरप केवल एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (RMP) के पर्चे पर ही मिलेगा।


यह घटना सिर्फ एक आपराधिक नेटवर्क का पर्दाफाश नहीं करती, बल्कि यह एक छिपे हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को भी उजागर करती है। यह दिखाती है कि कैसे नियामक खामियों और लालच का फायदा उठाकर नशे के सौदागरों ने फार्मेसी के काउंटर के पीछे से जिंदगियों को तबाह कर दिया। खाँसी की दवा जैसी एक आम ज़रूरत की चीज़ को नशे और मौत के हथियार में बदल दिया गया, जो समाज के सबसे कमजोर लोगों का शिकार कर रही थी।


2. वाराणसी का विरोधाभास: राष्ट्रीय सम्मान और स्थानीय अव्यवस्था एक ही तस्वीर में


अपराध के इस अंधेरे के ठीक विपरीत, शहर के नाम एक राष्ट्रीय गौरव भी दर्ज हुआ। एक तरफ, वाराणसी ने स्वास्थ्य सेवाओं में एक असाधारण कीर्तिमान स्थापित किया। यह देश का पहला ऐसा ज़िला बन गया, जिसकी 172 स्वास्थ्य इकाइयों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (ENQUAS) का प्रमाण पत्र मिला है। यह सार्वजनिक सेवा के एक उच्च मानक और एक बड़ी राष्ट्रीय उपलब्धि का प्रतीक है।


लेकिन इसी सिक्के का दूसरा पहलू उसी दिन की एक छोटी सी घटना में शर्मनाक रूप से सामने आया। वाराणसी जंक्शन स्टेशन का एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें एक दिव्यांग यात्री पिछले तीन दिनों से बंद पड़े एस्केलेटर पर घिसट-घिसट कर चढ़ने के लिए मजबूर है। यह विरोधाभास आधुनिक भारतीय शहरीकरण पर एक तीखी टिप्पणी है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या विकास का मतलब केवल राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना है या आम नागरिक को रोज़मर्रा की बुनियादी सुविधाएँ देना भी? यह दिखाता है कि कैसे 'विश्वस्तरीय' उपलब्धियों का मुखौटा अक्सर ज़मीनी स्तर पर व्यवस्था की प्रणालीगत विफलताओं को छिपा लेता है।


3. जब जश्न मातम में बदल गया: शादी की 'हर्ष फायरिंग' और एक दोस्त की ज़िंदगी


सिंहपुर अंडरपास के पास एक शादी का जश्न उस वक्त मातम में बदल गया जब एक दोस्त की ज़िंदगी दांव पर लग गई। अपनी बहन की शादी के लिए आकाश यादव ने एक देसी पिस्तौल खरीदी थी। जब वह इसे अपने दोस्तों को दिखा रहा था, तो उसके दोस्त अखिल पांडेय से गलती से गोली चल गई। यह गोली सीधे उनके तीसरे दोस्त सोनू सिंह के पेट में जा लगी, और उसे ज़िंदगी और मौत के बीच छोड़ गई। पुलिस ने आकाश और अखिल, दोनों को गिरफ्तार कर लिया है।


यह सिर्फ एक दुखद हादसा नहीं है, बल्कि यह समाज के एक गहरे सांस्कृतिक रोग का लक्षण है। यह उस मानसिकता को दर्शाता है जहाँ मर्दानगी, जश्न और सामाजिक रुतबे का प्रदर्शन अवैध हथियारों से जोड़ा जाता है। 'हर्ष फायरिंग' की यह परंपरा एक पल के दिखावे के लिए ज़िंदगी को दांव पर लगा देती है, यह साबित करते हुए कि कैसे उत्सव के नाम पर हिंसा की संस्कृति परिवारों को हमेशा के लिए तोड़ सकती है।


4. एक रहस्यमयी अफ़गानी मुसाफ़िर: पीर बादशाह की पहेली


मिर्जामुराद पुलिस ने एक अफ़गानी नागरिक को हिरासत में लिया, जिसकी कहानी किसी पहेली से कम नहीं है। वह ख़ुद को पीर बादशाह बता रहा था, लेकिन उसके पास कोई पुख्ता पहचान पत्र नहीं था। उसकी अलग भाषा, उलझे हुए जवाब और उसकी डायरी में दारी और पश्तो में मिली लिखावट ने शक को और गहरा कर दिया। मामला इतना गंभीर था कि स्थानीय खुफिया इकाई (LIU) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) जैसी एजेंसियाँ भी जाँच में शामिल हो गईं। वह कोलकाता से वाराणसी आया था और उसकी अगली मंज़िल नागपुर थी।


यह घटना एक शक्तिशाली अनुस्मारक है कि वाराणसी सिर्फ एक स्थानीय या राष्ट्रीय केंद्र नहीं, बल्कि एक प्राचीन अंतरराष्ट्रीय चौराहा है। यह एक ऐसा शहर है जहाँ आध्यात्मिक, वाणिज्यिक और यहाँ तक कि भू-राजनीतिक धाराएँ भी अप्रत्याशित रूप से सतह पर आ सकती हैं।

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