वाराणसी की दालमंडी, मुंबई के BKC की तरह मचा रही है बाजार में हलचल
सड़क चौड़ीकरण के बाद 10 महीने में 100 वर्ग फीट की दुकानें 60 लाख से ऊपर पहुंचीं सर्किल रेट से कई गुना बढ़ी कीमतें

वाराणसी के दालमंडी इलाके में इन दिनों जमीनों की कीमतों का हाल कुछ ऐसा हो गया है कि पुराने कारोबारी खुद चौंक रहे हैं. दालमंडी गली में सड़क चौड़ीकरण ने पूरे बाजार की तस्वीर बदल दी है. दैनिक अखबार अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार पहले जहां कोई 10×10 की दुकान के लिए तीस लाख से ज्यादा बोलने को तैयार नहीं था, वहीं अब वही जगह साठ लाख के ऊपर आसानी से निकल रही है. जो लोग लंबे समय से यहां कारोबार कर रहे थे, वे भी सोचने लगे हैं कि आखिर दालमंडी में ऐसा क्या बदल गया कि यहां की दुकानों की कीमतें मुंबई के नामी कारोबारी इलाकों के व्यवहार की तरह दिखने लगीं.
अब सवाल उठ रहा है कि क्या दालमंडी के आसपास के इलाके को वाराणसी का BKC कहा जा सकता है. यह तुलना पहली नजर में बड़ी लगती है, लेकिन इसे पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता. मुंबई का बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स देश के सबसे महंगे कारोबारी क्षेत्रों में गिना जाता है, जहां जमीन की कीमतें कई गुना ऊपर जाती हैं और छोटे से स्पेस की बड़ी कीमत मिलती है. दालमंडी का मामला थोड़ा अलग है, लेकिन दिशा कुछ वैसी लग रही है. अंतर बस यह है कि BKC अपनी प्लानिंग और बड़े निगमों के दफ्तरों के लिए जाना जाता है. दालमंडी अभी भी पुरानी गलियों से घिरा बाजार है जो चौड़ीकरण के बाद तेजी से बदल रहा है. लेकिन यह तो साफ है कि दोनों जगहों में एक समान चीज है, निवेशक अगर बढ़ती कीमत देख ले तो वह उसी इलाके में शक्ल बदलते बाजार को पकड़ने के लिए उतर आता है.
चौड़ीकरण की योजना लागू होने के साथ दालमंडी में निवेश की लहर दौड़ गई. जो मकान पहले गलियों की तंगी की वजह से खास ध्यान नहीं खींचते थे, वे अब नए सिरे से डिजायन किए जा रहे हैं ताकि ज्यादा दुकानें निकल आएं. कुछ लोग तो अपनी प्रॉपर्टी बेचकर शहर के किसी और हिस्से में जाने की तैयारी कर चुके हैं. बात करने वाले रियल इस्टेट कारोबारी कहते हैं कि चौड़ी सड़क ग्राहकों की आवाजाही बढ़ा देगी और कारोबार का आकार पूरी तरह बदल सकता है. उनके मुताबिक यह वही शुरुआती समय है जब किसी जगह की कद्र अचानक बढ़ती है और आगे चलकर यह स्थायी रूप ले लेती है.
बाजारों की हालत भी यही कहानी सुनाती है. मुसाफिर खाना हो या मिर्जा अच्छू कटरा, दोनों जगह 20 से 30 लाख में मिलने वाली दुकानें अब दोगुनी कीमत पर पहुंच चुकी हैं. किराये भी उन्हें देखकर ऊपर जाने की तैयारी में हैं. एक दुकानदार ने हंसते हुए कहा कि पहले कोई बाहर वाला इन गलियों का नाम भी याद नहीं रखता था और आज हालत यह है कि बड़े बिल्डर आकर दुकानें खरीदने के लिए बात कर रहे हैं. कुछ ने तो छोटे दुकानों को मिलाकर बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स शोरूम बनाने की योजना भी तैयार कर ली है.
यह बढ़त किसी एक घटना की वजह से नहीं है. दालमंडी शहर के बीचों बीच है. सड़क चौड़ी होगी, फुटपाथ बनेगा, भूमिगत लाइनें डाली जाएंगी और बाजार का पूरा ढांचा नया रूप लेगा. लोग मानते हैं कि जब सड़क सुधरेगी और जगह खुली दिखेगी तो भीतरी दुकानें भी सामने आ जाएंगी. यह उसी तरह का परिवर्तन है जैसा किसी भी पुराने व्यापारिक इलाके के नए अवतार में दिखता है. अगर इसे BKC जैसे बड़े नाम से तुलना मिले तो उसकी वजह यह नहीं कि यहां भी ऊंची इमारतें बन रही हैं, बल्कि इसलिए कि जमीन की कीमतें दो असमान शहरों में भी समान रफ्तार पकड़ लेती हैं.
सत्तार कटरे में चल रही कार्रवाई इस बदलते माहौल का एक हिस्सा भर है. पुराने निर्माण हट रहे हैं, मलबा उठ रहा है और लोग रोज थाने में जाकर पूछताछ कर रहे हैं कि चौड़ीकरण कहां तक पहुंचा. PWD का कहना है कि अगले हफ्ते से रजिस्ट्री के बाद काम तेज होगा. शहर की फाइलों में यह विस्तार दर्ज होते ही यहां के रेट और ऊपर जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. कुछ कारोबारी तो दावा कर रहे हैं कि अगले साल तक दस बाई दस की दुकानें एक करोड़ के भी पार चली जाएंगी.
इन्हीं बिंदुओं के कारण दालमंडी की तुलना BKC से पूरी तरह बेतुकी नहीं लगती. बस अंतर इतना है कि मुंबई का BKC पहले से स्थापित आर्थिक केंद्र है, जबकि दालमंडी अभी उस दिशा में कदम बढ़ा रहा है. लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि बनारस का पुराना हिस्सा अचानक इतनी तेजी से बदल रहा है कि लोग इसकी गति को लेकर हैरान हैं. यहां की जमीन इस समय निवेशकों के लिए किसी सोने की तरह साबित हो रही है. अगर यह रफ्तार ऐसे ही बनी रही तो कीमतों का यह सफर अभी और आगे जाएगा.
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।
