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वाराणसी में सांस्कृतिक संगम, सुरक्षा चुनौती और शिक्षा से लेकर संकट तक की एक दिन की पूरी तस्वीर

कभी सांस्कृतिक धड़कन तेज हुई, कभी सुरक्षा पर सवाल उठे और कभी गांवों की परेशानियां सामने आईं. वाराणसी ने एक ही दिन में बदलते रंग दिखाए जिनकी कहानी पूरी तरह समझने के लिए हर पहलू को जोड़कर देखना जरूरी है.

वाराणसी में सांस्कृतिक संगम, सुरक्षा चुनौती और शिक्षा से लेकर संकट तक की एक दिन की पूरी तस्वीर
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वाराणसी का मिजाज कभी एक लय में नहीं रहता. सुबह जहां कोई नई सांस्कृतिक आवाज गूंजती है, वहीं दोपहर में किसी की बेसब्री सुरक्षा घेरे को तोड़ देती है और शाम पड़ते पड़ते गांवों की परेशानियां अपना सच दिखाने लगती हैं. मंगलवार और बुधवार के बीच का यह पलटा हुआ कैलेंडर शहर की हर परत को थोड़ा थोड़ा खोल देता है. यही वजह है कि आज का दिन वाराणसी के लिए किसी जीवंत कोलाज जैसा रहा.

सबसे पहले बात उस किताब की जिसने चौबेपुर से लेकर काशी के साहित्यिक गलियारों तक एक सहज चर्चा छेड़ दी है. सुन्गुलपुर के रहने वाले रेलवे के सेवानिवृत्त डीआरएम ओम प्रकाश चौबे की किताब ‘काशी एक लघु परिचय’ को लोग सिर्फ पढ़ ही नहीं रहे, बल्कि काशी को देखने का एक नया नजरिया मान रहे हैं. हाल की एक खास घड़ी में, जब एकमुखी शिवलिंग को नेशनल मेरिटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स को सौंपा गया, चौबे ने अपनी किताब प्रोफेसर वसंत शिंदे को भेंट की. दिलचस्प बात यह है कि यह वही शिवलिंग है जिसे कभी गंगा किनारे प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने खोजा था. स्थानीय लोग इसे चौबेपुर का सांस्कृतिक सम्मान कह रहे हैं और चौबे खुद चाहते हैं कि इस पूरे इलाके में पुरातात्विक सर्वे शुरू हो. एक तरह से यह मांग उस अतीत की ओर इशारा करती है जो शायद अब भी मिट्टी में छिपा पड़ा है.

उधर नमो घाट पर राजनीति से हटकर जो दृश्य दिखा, वह तमिल और काशी की साझी परंपरा को फिर से जोड़ता है. काशी तमिल संगमम् 4.0 का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया. अतिथियों का स्वागत वणक्कम काशी के संबोधन और हर हर महादेव की गूंज के बीच हुआ. तमिलनाडु के राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री और कई गणमान्य लोग मौजूद थे. एक तरह से यह आयोजन उत्तर और दक्षिण की सांस्कृतिक स्मृतियों का नया विमर्श बन गया.

लेकिन यह वही जगह है जहां कुछ ही पल बाद सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े हो गए. चौबेपुर बाजार के रहने वाला युवक जोगेंद्र गुप्ता सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए मंच की ओर दौड़ पड़ा. उसकी आवाज दूर तक सुनाई दी जहां वो कादीपुर रेलवे स्टेशन पर शराब की अवैध बिक्री की शिकायत लेकर सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचना चाह रहा था. पुलिस की जांच में पता चला कि युवक मानसिक रूप से अस्वस्थ है. यह घटना सुरक्षाकर्मियों के लिए एक चेतावनी साबित हुई क्योंकि कार्यक्रम में देश के कई प्रमुख नेता मौजूद थे. एटीएस से लेकर स्थानीय पुलिस तक सभी यूनिट इस मामले की समीक्षा में जुट गईं.

इसी बीच काशी विश्वनाथ धाम में काशी तमिल संगमम 4.0 में पधारे पहले तमिल समूह का स्वागत कुछ ऐसा हुआ मानो सदियों की परंपरा एक साथ चल पड़ी हो. डमरू की ध्वनि, पुष्प वर्षा और मंदिर की महक के बीच अतिथियों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए. यह वह दृश्य है जिसने एक बार फिर प्रमाणित किया है कि बनारस आने वाला मेहमान सिर्फ आगंतुक नहीं होता, वह काशी के रंग में रंग चुका बनारसी बन जाता है.

अलग खबर शहर की विद्या और परंपरा से जुड़ी रही. महाराष्ट्र के उन्नीस वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने शुक्ल यजुर्वेद के करीब दो हजार मंत्रों का दंडक्रम पारायण पचास दिनों में पूरा कर नया कीर्तिमान स्थापित किया. रथयात्रा से महमूरगंज तक निकली शोभायात्रा में पांच सौ से अधिक वैदिक छात्र शामिल हुए. प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी सराहना की और सीएम योगी ने काशी तमिल संगमम् के मंच पर उन्हें सम्मानित किया.

शिक्षा से जुड़ा एक और दृश्य चौबेपुर के डालिम्स सनबीम स्कूल में दिखा जहां करियर गाइडेंस फेयर में पचपन से ज्यादा संस्थानों के प्रतिनिधि पहुंचे. यह आयोजन छात्रों के लिए भविष्य की दिशा तय करने वाली सीढ़ी जैसा रहा.

इसी क्षेत्र से एक दूसरी कहानी भी सामने आई जो भरोसे को सवालों में बदल देती है. स्पंदना स्फूर्ती फाइनेंशियल लिमिटेड की तीन शाखाओं चौबेपुर, शिवपुर और आशापुर में कुल चौबीस लाख से ज्यादा का गबन पकड़ में आया. ग्यारह कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और जांच तेज हो गई है. आर्थिक अनियमितता की इस खबर ने स्थानीय लोगों को सचेत कर दिया है.

स्थानीय समस्याओं के मोर्चे पर भी चौबेपुर पीछे नहीं रहा. नरायनपुर में बिजली मीटर और केबिल चोरी की घटना सामने आई. अजय गुप्ता घर पहुंचे तो मीटर और तार दोनों गायब थे. पुलिस जांच कर रही है और ग्रामीणों की चिंता बढ़ी हुई है.

उधर पियरी गांव का वांछित अंकित कुमार चन्दवक पुलिस के हत्थे चढ़ गया. उसके खिलाफ बीएनएस और पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज था. घटना में दो और युवकों की तलाश जारी है.

बिजली विभाग की लापरवाही का एक और चेहरा खरगीपुर पियरी में देखने को मिला जहां झुके खंभे और नीचे लटकती तारें तीन हजार से अधिक बच्चों के लिए रोजाना जोखिम पैदा कर रही हैं. ग्रामीण दो महीनों से शिकायत कर रहे हैं लेकिन सुधार अभी तक रुका हुआ है. लोग आशंकित हैं कि कहीं यह उदासीनता किसी बड़े हादसे में न बदल जाए.

आशा ट्रस्ट ने मतदाताओं को फॉर्म भरने में मदद की पहल की है. जिन गांवों में लोग अब भी कागजी प्रक्रिया से जूझते हैं, वहां यह कदम राहत लेकर आया है.

चिरईगांव में मुख्यमंत्री आवास योजना की राशि यूपी ग्रामीण बैंक वाले खातों में नहीं पहुंची. लगभग नब्बे खातों में पहली किस्त अटकी हुई है. तकनीकी कारणों के चलते लोग परेशान हैं और खंड विकास अधिकारी स्थिति स्पष्ट करने में समय ले रहे हैं.

डीसीपी आकाश पटेल की मानवीय पहल चर्चा में रही जब उन्होंने हरहुआ ओवरब्रिज पर घायल व्यक्ति को खुद उठाकर अस्पताल पहुंचाया. यह वह क्षण था जब प्रशासनिक जिम्मेदारी इंसानी संवेदना में बदल गई.

मतदाता सूची शुद्धिकरण के काम पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है. चिरईगांव के बीडीओ ने 11 दिसंबर की डेडलाइन तय की है और अधिकारियों से समय पर सत्यापन पूरा करने को कहा है.

बीएचयू में माहौल तनावपूर्ण रहा जब एक बाहरी वाहन ने छात्र को टक्कर मारी और बाद में छात्रों तथा सुरक्षा कर्मियों के बीच झड़प हो गई. रॉड और डंडे लेकर छात्रों के बाहर निकलने के बाद पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है. यह घटना उस समय हुई जब काशी तमिल संगमम् का पहला दल बीएचयू पहुंचने वाला था.

बीएचयू में सुबह का दृश्य कुछ अलग था जहां डॉ. नीरजा माधव के उपन्यास ‘राइडिंग द टाइगर’ का विमोचन हुआ. शोध छात्र जीवन की चुनौतियों पर लिखी इस किताब को कुलपति और कई विशिष्ट अतिथियों ने जारी किया.

यूपी कॉलेज के डॉ. विनोद पाल को सर्वश्रेष्ठ तकनीकी शोधपत्र के लिए प्रतिष्ठित अवार्ड मिला. उनका शोध अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा में स्थिति पर केंद्रित है.

धीरेंद्र महिला पीजी कॉलेज में छात्राओं ने स्टार्ट अप मॉडल प्रस्तुत कर यह दिखाया कि स्थानीय स्तर पर भी नई सोच और उद्यमिता की जमीन तैयार हो रही है.

कृषि की दुनिया से खबर हरहुआ के भोपापुर गांव से आई जहां किसान सुभाष चन्द्र वर्मा की गेहूं की खेत तैयारियों की प्रशंसा हो रही है. शुरुआती बीस दिनों में फसल की बढ़त बेहतरीन बताई जा रही है.

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में ग्राफ्टिंग तकनीक पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ है. इसमें प्रगतिशील किसानों को नई तकनीकों की जानकारी दी जा रही है.

दूसरी ओर, पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. सौम्या दत्ता ने क्लीन फॉर एयर की वर्षगांठ पर चेतावनी दी कि देश की लगभग तीस फीसदी जमीन मरुस्थलीकरण के खतरे में है और समुद्री तूफानों में बड़ी वृद्धि दर्ज हुई है. यह चेतावनी बताती है कि आने वाला समय कैसा हो सकता है.

इन सब के बीच एक दुखद खबर बीएचयू के बरकछा परिसर से आई जहां बीएससी कृषि के छात्र अनिल मीना का हार्ट अटैक से निधन हो गया. यह घटना कई छात्रों के लिए सदमे की तरह आई.

वाराणसी की यह पूरी तस्वीर बताती है कि शहर सिर्फ एक खबर नहीं बनाता, बल्कि कई कहानियों का एक साथ लिखा हुआ दिनचर्या बन जाता है. कभी उत्सव, कभी संघर्ष, कभी चेतावनी और कभी उम्मीद. हर दिन एक नया सवाल छोड़ जाता है कि कल यह शहर कौन सा नया रंग दिखाएगा.

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