Public Khabar

शोक की खबर से लेकर हॉलैंड से आए परिवार की जड़ों की तलाश तक वाराणसी से चौबेपुर तक, ठंड, शोक और खोज की खबरें

शोक की खबर से लेकर हॉलैंड से आए परिवार की जड़ों की तलाश तक, ठंड, कोहरा, शिक्षा, सुरक्षा और संस्कृति से जुड़ी वाराणसी अंचल की बड़ी खबरें

X

वाराणसी और उसके आसपास के इलाकों में मंगलवार की सुबह सिर्फ ठंड और कोहरे की नहीं थी, चौबेपुर के तिवारीपुर गांव में शोक था, कहीं चिंता, तो कहीं उम्मीद की एक धीमी सी लौ भी. यही मिला जुला सच इस पूरे चौबेपुर की खबरों में साफ दिखा.

चौबेपुर के तिवारीपुर में हरिहरनाथ तिवारी के निधन की खबर ने इलाके को स्तब्ध कर दिया. मुंबई की बेस्ट बस सेवा में वर्षों तक काम करने के बाद वे सेवानिवृत्ति के बाद अपना जीवन गांव में ही व्यतीत कर रहे थे. सोमवार को गौरा घाट पर अंतिम संस्कार के दौरान उमड़ी भीड़ इस बात का संकेत थी कि शहरों में काम करने वाले जब लौटकर गांव की ओर आते हैं तो उनकी मातृभूमि उन्हें अपने आंचल में कैसे समेट लेती है.

इसी चौबेपुर में एक और कहानी ने लोगों का ध्यान खींचा. हॉलैंड से आया एक परिवार, अपने पूर्वजों की तलाश में थाने तक पहुंचा. वेदप्रकाश विजय के हाथ में पुराने दस्तावेज हैं, जिनमें बनारस के वावड़पुर का पता दर्ज है. अब यह परिवार बाबतपुर की ओर बढ़ेगा. यह सिर्फ एक परिवार की खोज नहीं, बल्कि उस इतिहास की झलक है जो देश की सीमाओं से बाहर भी सांस लेता है.

मौसम ने इस बीच अपनी सख्ती दिखाई. घने कोहरे और गलन को देखते हुए वाराणसी जिले में कक्षा पांच तक के स्कूल दो दिन के लिए बंद कर दिए गए. प्रशासन का फैसला बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया, हालांकि शिक्षकों को स्कूल आने के निर्देश हैं. गुरुवार को क्रिसमस की छुट्टी पहले से तय है, यानी पढ़ाई की रफ्तार कुछ दिन धीमी ही रहेगी.

बीएचयू में हड़प्पा सभ्यता को लेकर दिया गया व्याख्यान अकादमिक दुनिया से निकलकर आम चर्चा का विषय बन गया. प्रोफेसर वसंत शिंदे ने जीनोम अध्ययन के आधार पर कहा कि भारतीय सभ्यता की जड़ें बाहर से नहीं आईं, बल्कि यहीं विकसित हुईं. पांच हजार साल पुराने नगर नियोजन और सीवेज सिस्टम के उदाहरणों के साथ यह दावा एक बार फिर इतिहास को नए सिरे से देखने की जरूरत की ओर इशारा करता है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तस्वीर धौरहरा की यूनियन बैंक शाखा में हुई स्वयं सहायता समूहों की बैठक में दिखी. 110 समूहों में से 85 के सक्रिय होने और पांच करोड़ रुपये से अधिक की स्वीकृति यह बताती है कि छोटे स्तर पर चल रही कोशिशें कैसे बड़े बदलाव की नींव रखती हैं.

शिक्षा और प्रतियोगिता की खबर चिरईगांव से आई, जहां राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के तहत क्विज प्रतियोगिता में छात्राओं ने हिस्सा लिया. सीवी रमन टीम का पहला स्थान केवल जीत नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों में छिपी प्रतिभा की याद भी है.

सड़क सुरक्षा को लेकर चिंता कम नहीं हुई है. मोलनापुर के पास हाईवे पर खड़े भारी वाहन हों या हरहुआ में खड़े ट्रक से टकराई स्कॉर्पियो, दोनों घटनाएं एक ही सवाल छोड़ती हैं कि लापरवाही की कीमत आखिर कौन चुकाता है. स्थानीय लोग लगातार कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

स्वास्थ्य केंद्रों तक भी संकट पहुंच गया. चिरईगांव पीएचसी में बंदरों के हमले से घायल हुई महिला स्वास्थ्यकर्मी ने एक पुरानी समस्या को फिर सामने ला दिया है. मरीजों और स्टाफ में डर का माहौल है और जिम्मेदार विभागों से ठोस कदम की अपेक्षा बढ़ी है.

बिजली, पानी और नेटवर्क. जाल्हूपुर के ढाब इलाके में रातभर बिजली गुल रहने से ग्रामीणों को इन तीनों से जूझना पड़ा. खेती किसानी पर असर पड़ा और जनजीवन ठहर सा गया.

कानून व्यवस्था से जुड़ी खबरों में चौबेपुर की नर्सिंग छात्रा का मामला गंभीर है. ब्लैकमेल और धमकी के आरोपों पर केस दर्ज हुआ है. वहीं चोलापुर और सारनाथ से किशोरी और युवती के लापता होने की घटनाएं परिवारों की बेचैनी को बयान करती हैं.

साइबर ठगी का एक और चेहरा चौबेपुर में सामने आया, जहां फर्जी आरटीओ एप के जरिए एक युवक से एक लाख से अधिक की रकम निकाल ली गई. यह घटना डिजिटल सुविधा के साथ बढ़ते खतरे की याद दिलाती है.

शहर में तकनीक के इस्तेमाल की एक सकारात्मक खबर भी है. ई बसों की लाइव लोकेशन बताने वाले ऐप का परीक्षण शुरू हो गया है. अगर यह सफल रहा, तो रोजमर्रा के सफर में समय और असमंजस दोनों कम हो सकते हैं.

पूर्वांचल में ठंड और कोहरे ने फसलों पर भी असर डाला है. सरसों और आलू की फसल को नुकसान की आशंका जताई जा रही है. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह फिलहाल किसानों के लिए सहारा बनी है.

शिक्षा, शोध और सम्मान की खबरों में बीएचयू और काशी विद्यापीठ से जुड़े कई नाम सामने आए. प्रोफेसर आशीष त्रिपाठी को राष्ट्रीय सम्मान की घोषणा हो या आईटीआई करौंदी में एआर वीआर लैब की शुरुआत, ये घटनाएं बताती हैं कि अकादमिक दुनिया अपनी गति से आगे बढ़ रही है.

इन सबके बीच काशी विंध्य क्षेत्र के गठन को मिली कैबिनेट मंजूरी भविष्य की बड़ी तस्वीर दिखाती है. सात जिलों को जोड़ने वाला यह ढांचा रोजगार और विकास की उम्मीद लेकर आया है.

यह पूरा बुलेटिन किसी एक बड़ी सनसनी की जगह कई छोटी लेकिन जरूरी कहानियों का संग्रह है. यही खबरें हैं जो रोजमर्रा की जिंदगी को सीधे छूती हैं और यही वजह है कि इन्हें समझना और पढ़ना जरूरी हो जाता है.

Tags:
Next Story
Share it