वरूथिनी एकादशी पर विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करेगा भाग्य का उद्घाटन, मिलेंगे शुभ संकेत और मनोकामना पूर्ति

हिंदू पंचांग के अनुसार, 24 अप्रैल 2025, गुरुवार को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की वरूथिनी एकादशी पड़ रही है। इस पावन अवसर को धर्मशास्त्रों में अत्यंत पुण्यदायक और मोक्ष प्रदान करने वाला दिन माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है, और अगर श्रद्धापूर्वक विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाए तो जीवन के अनेक उलझे कार्य सरल हो जाते हैं, और दुर्भाग्य दूर होकर सौभाग्य का द्वार खुलता है।
वरूथिनी शब्द का अर्थ होता है "रक्षा करने वाली"। इस दिन व्रत और पूजा करने वाले साधकों को जीवन में आने वाले कष्टों से संरक्षण मिलता है। यह एकादशी विशेषकर उन लोगों के लिए उपयोगी है जो आर्थिक संकट, नौकरी की अस्थिरता या पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
शुभ योगों में होगी वरूथिनी एकादशी, बढ़ेगा फल कई गुना
इस वर्ष वरूथिनी एकादशी पर अत्यंत शुभ योगों का संयोग बन रहा है। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति इस दिन को और भी प्रभावशाली बना रही है। ऐसे समय में यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाए, तो साधक को न केवल मानसिक शांति और आत्मिक बल प्राप्त होता है, बल्कि आर्थिक उन्नति और जीवन में स्थिरता भी आती है।
विशेष रूप से जो लोग लंबे समय से कार्य में रुकावट या निर्णयों में असमर्थता अनुभव कर रहे हैं, उनके लिए यह एकादशी जीवन में नया प्रकाश ला सकती है। धार्मिक अनुष्ठान, दान-पुण्य, और विष्णु सहस्त्रनाम के जप से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
वरूथिनी एकादशी पर करें ये शुभ कार्य
1. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें
सुबह स्नान करके शांत चित्त से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इससे मन स्थिर होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह पाठ विशेष रूप से कार्यसिद्धि में सहायक होता है।
2. तुलसी को जल चढ़ाएं और दीपक लगाएं
भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। एकादशी के दिन तुलसी के समीप दीपक लगाना और जल अर्पण करना अत्यंत पुण्यदायी होता है।
3. सात्विक व्रत रखें और अन्न न खाएं
वरूथिनी एकादशी पर उपवास रखकर केवल फलाहार या जल का सेवन करना व्रत की पूर्णता का प्रतीक है। इससे तन-मन दोनों की शुद्धि होती है।
4. गरीबों को वस्त्र और अन्न का दान करें
इस दिन किया गया दान कई गुना फलदायी होता है। दान से न केवल धन की वृद्धि होती है, बल्कि जीवन में आत्मिक संतुलन भी आता है।
एकादशी व्रत: पुण्य और सौभाग्य का संयोग
वरूथिनी एकादशी केवल एक तिथि नहीं बल्कि आत्मशुद्धि, पुण्य प्राप्ति और ईश्वर भक्ति की श्रेष्ठ अवसर है। इस दिन यदि साधक श्रद्धा और समर्पण से पूजा करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं धीरे-धीरे पूर्ण होती जाती हैं। भाग्य प्रबल होता है और जीवन की कठिनाइयों में भी समाधान की किरण दिखाई देती है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।