वरुथिनी एकादशी के बाद कौन सी एकादशी आती है? जानिए तिथि, महत्व और व्रत से जुड़ी खास बातें

हिंदू पंचांग में एकादशी तिथि का विशेष स्थान है, और यह दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है, जो धर्म और मोक्ष की राह पर अग्रसर होने वालों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने और प्रभु विष्णु का ध्यान करने से समस्त पापों का क्षय होता है और जीवन में सद्गति की प्राप्ति होती है।
वरुथिनी एकादशी का आध्यात्मिक महत्व
वरुथिनी एकादशी का नाम 'वरुथिनी' शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है — ‘रक्षा प्रदान करने वाली’। यह एकादशी न केवल सांसारिक संकटों से बचाती है, बल्कि भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति का अनुभव कराती है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, गीता पाठ और नारायण स्तोत्र का पाठ करने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है। यह व्रत सभी वर्णों के लिए फलदायी माना गया है।
वरुथिनी एकादशी के बाद कौन सी एकादशी आती है?
वरुथिनी एकादशी के बाद अगली एकादशी पद्मिनी एकादशी (या किसी वर्ष में पारमा एकादशी) हो सकती है, लेकिन सामान्यतः इसके पश्चात वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी आती है जिसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
मोहिनी एकादशी 2025 में 6 मई को पड़ रही है। यह एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित होती है और विशेष रूप से व्रत रखने वालों को मोह-माया से मुक्ति और आध्यात्मिक बल प्रदान करने वाली मानी जाती है।
मोहिनी एकादशी का संक्षिप्त परिचय
मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत प्रदान किया था और असुरों को पराजित किया था। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति मानसिक शांति, मोह से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति करता है। यह एकादशी भी वरुथिनी एकादशी की तरह मोक्षदायिनी मानी गई है।
एकादशी व्रत का क्रम और श्रद्धा का महत्व
वरुथिनी एकादशी से लेकर मोहिनी एकादशी तक का समय भक्तों के लिए आध्यात्मिक साधना का उत्तम काल होता है। इस दौरान नियम, संयम और भक्ति के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन के तमाम कष्टों से छुटकारा मिलता है। एकादशी व्रत केवल उपवास नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि का मार्ग है, जो व्यक्ति को धर्म और भक्ति की ओर अग्रसर करता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।