सिर्फ दिशा नहीं, रसोई में वास्तु के ये नियम भी निभाएं वरना बिगड़ सकता है गृहस्थ जीवन

सिर्फ दिशा नहीं, रसोई में वास्तु के ये नियम भी निभाएं वरना बिगड़ सकता है गृहस्थ जीवन
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अक्सर लोग यह मान लेते हैं कि रसोई को वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में बनवा लेने मात्र से सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है। लेकिन वास्तु केवल दिशा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई और महत्वपूर्ण तत्व शामिल होते हैं जिन पर ध्यान देना आवश्यक होता है। किचन घर का वह केंद्र होता है जहां से ऊर्जा, स्वास्थ्य और परिवार का सामंजस्य प्रभावित होता है। यदि इस स्थान में किसी प्रकार की वास्तु अशुद्धि रह जाए, तो यह गृहस्थ जीवन में असंतुलन पैदा कर सकती है।

रसोई का निर्माण: केवल दक्षिण-पूर्व दिशा ही पर्याप्त नहीं

वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई की दिशा दक्षिण-पूर्व यानी अग्निकोण मानी जाती है, क्योंकि यह अग्नि तत्व से जुड़ी होती है। लेकिन केवल दिशा ही सही होने से सब कुछ ठीक नहीं होता। यदि चूल्हे की स्थिति गलत हो, पानी का स्थान गलत दिशा में हो या स्टोरेज की व्यवस्था असंतुलित हो, तो इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।

उदाहरण के तौर पर, यदि रसोई में पानी की निकासी उत्तर-पूर्व में न होकर दक्षिण-पश्चिम की ओर हो रही है, तो यह परिवार के सदस्यों में मानसिक तनाव और अस्वस्थता का कारण बन सकती है। इसी प्रकार, रसोई में भारी सामान का उत्तर दिशा में रखना आर्थिक परेशानियां ला सकता है।

रसोई में रंग और सफाई का महत्व

वास्तु में रसोई घर का रंग भी विशेष मायने रखता है। बहुत गहरे या काले रंगों का प्रयोग रसोई में नहीं करना चाहिए। हल्के पीले, नारंगी, गुलाबी या हरे रंग ऊर्जा को सकारात्मक बनाए रखते हैं। वहीं, रसोई की नियमित सफाई और व्यवस्थित बनावट नकारात्मकता को दूर रखती है। जले-टूटे बर्तन, फटे पर्दे और गंदगी को रसोई में रखना सीधे-सीधे गृह क्लेश को आमंत्रण देता है।

चूल्हे और सिंक के बीच दूरी बनाए रखना क्यों जरूरी है

वास्तु के अनुसार, चूल्हा (अग्नि तत्व) और सिंक (जल तत्व) को एक-दूसरे से दूर रखना अत्यंत जरूरी है। अग्नि और जल दोनों एक-दूसरे के विपरीत तत्व हैं, और यदि इन्हें पास-पास रखा गया हो, तो घर में लड़ाई-झगड़े और वैचारिक मतभेद बढ़ सकते हैं। आदर्श स्थिति यह होती है कि चूल्हा पूर्व या दक्षिण-पूर्व की दिशा में हो और सिंक उत्तर या उत्तर-पश्चिम में।

संतुलन और ऊर्जा का केन्द्र है रसोई

रसोई घर न केवल भोजन तैयार करने का स्थान है, बल्कि यह पूरे परिवार के स्वास्थ्य, समृद्धि और संबंधों की ऊर्जा को नियंत्रित करता है। अतः केवल दिशा का चयन ही नहीं, बल्कि वास्तु के सभी नियमों का पालन करके ही पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यदि आप चाहते हैं कि घर में सदैव सुख-शांति बनी रहे, तो रसोई को वास्तु अनुसार संतुलित और शुद्ध बनाए रखना न भूलें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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