पूजा-पाठ के दौरान ध्यान रखें ये वास्तु नियम, घर में बढ़ेगी सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा

पूजा-पाठ के दौरान ध्यान रखें ये वास्तु नियम, घर में बढ़ेगी सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा
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हिंदू संस्कृति में पूजा-पाठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में ऊर्जा और संतुलन बनाए रखने का माध्यम भी है। हर घर में पूजा की परंपरा होती है, लेकिन कई बार अनजाने में हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा को जन्म देती हैं। वास्तु शास्त्र में पूजा करते समय अपनाने योग्य कई महत्वपूर्ण नियमों का उल्लेख किया गया है, जो न केवल पूजा को प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि घर के वातावरण को भी शुद्ध और शांतिपूर्ण बनाए रखते हैं।

पूजा स्थल का दिशा और स्थान: सबसे पहला नियम

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर का स्थान अत्यंत महत्व रखता है। यदि पूजा घर पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में बनाया गया हो, तो यह अत्यंत शुभ फलदायक होता है। यह दिशा देवताओं की दिशा मानी जाती है और यहां पर की गई पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। पूजा घर को कभी भी शौचालय या रसोईघर के पास न बनाएं। इससे पूजा की ऊर्जा बाधित होती है और मानसिक अशांति बढ़ती है।

स्वच्छता और शुद्धता है मूल मंत्र

पूजा स्थल को प्रतिदिन साफ़-सुथरा रखना आवश्यक है। गंदगी, धूल या अव्यवस्था से न केवल वातावरण दूषित होता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी रुक जाता है। पूजा के समय स्वच्छ वस्त्र धारण करना, स्नान करके ही भगवान के समक्ष बैठना और पूजा सामग्री को व्यवस्थित ढंग से रखना आवश्यक है। यह भाव और श्रद्धा दोनों को दर्शाता है और ईश्वर की कृपा को आकर्षित करता है।

दीपक और अगरबत्ती की दिशा भी रखती है महत्व

दीपक को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर जलाना चाहिए। इससे प्रकाश और ऊर्जा का संतुलन बना रहता है। अगरबत्ती या धूपबत्ती का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसकी सुगंध हल्की और शुद्ध हो। तीव्र और कृत्रिम सुगंध मानसिक अस्थिरता उत्पन्न कर सकती है।

मूर्तियों की संख्या और स्थिति

वास्तु के अनुसार पूजा घर में भगवान की बड़ी संख्या में मूर्तियाँ नहीं होनी चाहिए। एक ही देवता की एक से अधिक मूर्ति रखने से मानसिक भ्रम और पूजा में एकाग्रता की कमी आ सकती है। मूर्तियों को दीवार से सटाकर न रखें, उनके पीछे थोड़ी दूरी बनी होनी चाहिए ताकि ऊर्जा का प्रवाह बाधित न हो।

मानसिक एकाग्रता और श्रद्धा से होता है चमत्कार

वास्तु शास्त्र जितना भौतिक नियमों पर आधारित है, उतना ही मानसिक ऊर्जा पर भी निर्भर करता है। पूजा करते समय मन को एकाग्र करना, मोबाइल या अन्य विकर्षणों से दूर रहना, और सच्चे भाव से भगवान का ध्यान करना — ये ही पूजा को सार्थक बनाते हैं।

नियमित पूजा से मिलते हैं स्थायी फल

यदि आप प्रतिदिन या नियमित अंतराल पर विधिवत पूजा करते हैं, तो यह आपके जीवन में स्थायित्व, सुख, और मानसिक संतुलन लाता है। साथ ही, यह परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और समझ को भी मजबूत करता है। वास्तु शास्त्र कहता है कि नियमित पूजा करने वाला घर स्वतः ही नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त हो जाता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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