वैशाख शुक्ल चतुर्थी 2025: 1 मई को रवि योग में होगी गणपति पूजा, जानिए व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान गणेश की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मई 2025 में यह विशेष व्रत वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को 1 मई, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन रवि योग का संयोग भी बन रहा है, जिससे यह दिन और अधिक शुभ बन गया है।
विनायक चतुर्थी को संकटों को हरने वाली तिथि माना गया है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, और इस दिन उनका व्रत रखकर विधिवत पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है। कार्यों में सफलता मिलती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
चतुर्थी तिथि और मुहूर्त की जानकारी
पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल चतुर्थी तिथि 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 1 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर होगा। चूंकि चतुर्थी तिथि का अधिकांश भाग 1 मई को दिन के पहले भाग में रहेगा, इसलिए उदयकालीन चतुर्थी की मान्यता के अनुसार व्रत और पूजा 1 मई को ही की जाएगी।
गुरुवार का दिन और रवि योग का विशेष संयोग इस व्रत को अत्यंत शुभ बनाते हैं। शास्त्रों में ऐसे योग में गणेश जी की आराधना को विशेष फलदायी माना गया है।
गणेश पूजा की विधि और व्रत के नियम
इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। घर के पूजा स्थान पर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। फिर दीपक जलाएं, दुर्वा, शुद्ध जल, अक्षत, लाल पुष्प, मोदक और पान आदि से भगवान गणेश की पूजा करें।
गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश स्तोत्र, या गणेश चालीसा का पाठ कर सकते हैं। व्रती दिनभर उपवास रखता है और शाम को गणेश जी की आरती के बाद फलाहार कर सकता है। मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा पूर्वक विनायक चतुर्थी का व्रत करता है, उसके जीवन से विघ्न बाधाएं दूर होती हैं और सभी शुभ कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।