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मां-बाप और भाई की अर्थी के बाद उठी बेटी की डोली, फूट-फूट कर रोया पूरा गांव

मां-बाप और भाई की अर्थी के बाद उठी बेटी की डोली, फूट-फूट कर रोया पूरा गांव

तमाम सामाजिक कुरीतियों और...Editor

तमाम सामाजिक कुरीतियों और अपशगुनों के बंधन काटते हुए उस घर में लाड़ली की डोली उठी, जहां तीन दिन पहले बाबुल के साथ तीन-तीन अर्थियां उठी थी।

खास बात यह रही कि ग्रामीणों ने भी बिटिया के विवाह में बढ़चढ़कर न केवल हिस्सा लिया बल्कि अपनी क्षमता के अनुसार कन्यदान देकर घर के जरूरी साजो समान के साथ विदा किया। शादी की सभी रस्में भी अदा की गई। विदाई के समय लाड़ली अपने भाई के गले लगकर जी भरकर रोई। इस दौरान समूचे गांव के लोगों का दिल मानो मोम बनकर पिघल रहा था। हर किसी के मन में यह दुआ था कि अब बिटिया के जीवन में और कोई दुख न आए। भगवानपुर क्षेत्र के लव्वा गांव में विगत 27 अप्रैल को राजसिंह के परिवार में विगत दस सालों से रह रहे प्रताप सिंह ठाकुर ने राजसिंह उसकी पत्नी बबली और बेटे प्रदीप की फरसे काटकर निर्मम हत्या कर दी थी।

साथ ही राजसिंह की दूसरी बेटी आरती और लक्ष्मी तथा साले की बेटी शिवानी को भी फरसे से वार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। जबकि बड़ी बेटी मानसी ने खुद को एक कमरे में बंद कर किसी तरह बचा लिया था। यह घटना उस समय हुई थी जब मानसी की शादी को मात्र तीन दिन शेष रह गए थे। गांव में पिता, मां और भाई की अर्थी पहुंची तो बेटी मानसी, बेटे अजय के दिल पर मानो दुखो का पहाड़ टूट गया था। लेकिन इसी गमगीन माहौल के बीच ग्रामीणों और बिरादरी के लोगों ने परिवार का साथ दिया और मानसी की शादी को नियत तिथि पर करने के लिए ससुराल पक्ष के लोगों से बातचीत की और उन्हें राजी भी कर लिया।

लिहाजा सोमवार को गांव में बारात पहुंची। सुबह करीब 11 बजे जस्सुवाला ब्लॉक विकास नगर देहरादून से बारात गांव पहुंची। जिसमें दूल्हा संदीप पुत्र हरपाल, ससुर हरपाल, दादा जयप्रकाश, भाई अंकुश, फूफा सुशील, मामा सुखबी और गांव के दो अन्य लोग शामिल थे। बारातियों के खाने पीने के अच्छे इंतजाम सहित विवाह की सभी रस्में आयोजित की गई। शाम पांच बजे हुई विदाई के समय समूचे गांव और वहां पहुंचे लोगों के आंखों में आसूं उमड़ रहे थे। हर कोई नम आंखों से बिटिया को दिल से आशीर्वाद और दुआ दे रहा था। दुखों के इस पहाड़ के बीच लोगों को इस बात का सुकून था कि कहीं न कहीं उन्होंने मां-बाप की जिम्मेदारी पूरी कर लड़की को उसके घर के लिए विदा कर दिया।

इस दौरान मानसी के मामा नरेश सैनी, रमेश सैनी निवासी बंजारेवाला अपने पूरे परिवार के साथ पहुंचे थे। परिवार के मुअज्जिज लोग इलमचंद, रणबीर, राजेंद्र, विनोद, तेल्लूराम, सोनू, संजय आदि ने भी सभी रस्में पूरी कराने में सहयोग दिया। इस दौरान बिटिया को आशीर्वाद देने के लिए पूर्व मंत्री राम सिंह सैनी, लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष सैनी, यूकेडी के राजकुमार सैनी अनेक गणमान्य लोग भी मौजूद रहे। विवाह के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस भी मौजूद रही।

बाबुल के दिए जेवर को बिटिया ने पहना तो मानो आसूओं का सैलाब उमड़ पड़ा। गम और खुशी के माहौल में बिटिया के साथ रिश्तेदारों के अलावा समूचा गांव खड़ा था। ग्रामीणों ने बताया कि राजसिंह ने अपनी बेटिया का दहेज का सामान पहले ही ससुराल भिजवा दिया था। जेवर आदि की भी खरीदारी कर ली थी। सोमवार को शादी के समय जब मानसी ने बाबुल के दिए जेबरों को पहना था तो आसूंओं की बाढ़ सी आ गई। जब विदाई हुई तो भाई अजय के गले से लगकर जीभरकर रोई। ताऊ सतपाल और अन्य रिश्तेदारों से विदाई लेते समय मानसी के दुखों का कोई पारावार नहीं दिखाई पड़ रहा था। विदाई के समय हर किसी की आंखों में आसूं थे।



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