मां ने आखिरी सांस भी कर दी अपने बच्चों के नाम, छोड़ गई इतनी दौलत

इस जगत में केवल मां ही एक ऐसी है जिसके साथ कोई स्वार्थ नहीं जुड़ा होता। वह बहुत ही निर्मल व निःस्वार्थ भाव से अपने बच्चे का ध्यान रखती है। यदि बेटा मां की कोई इच्छा पूरी न कर सका हो तो उस पर रूठती भी नहीं। वह मरते दम तक अपने बच्चों के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर देती है। मां की ममता की मिसाल पेश करने वाला ऐसा ही एक मर्मिक मामला सामने आया है। इसे पढ़कर आपकी आंखे भर आएंगी...
मोटर न्यूरॉन डिजीज की शिकार ब्रिटेन के बैनबरी की 34 साल की महिला सैम कीमी की मौत हो गई। पर इससे पहले उन्होंने ऑनलाइन क्राउड फंडिंग के जरिये 40 लाख रुपये जुटा लिए थे ताकि उनके दो बेटे उनकी मृत्यु के बाद आराम से उनकी बहन के साथ ऑस्ट्रेलिया में रह सकें। अप्रैल में सैम को अपनी बीमारी के बारे में पता चला था।
डॉक्टरों के कहा था कि वह कुछ महीने और जिंदा रहेंगी, पर दो महीने बाद उनकी बोलने की क्षमता चली जाएगी। इसके बाद सैम ने क्राउड फंडिंग वेबसाइट के जरिए पैसे जुटाने का फैसला किया। साइट पर उन्होंने अपने संदेश में लिखा, मेरी सबसे बड़ा डर यह नहीं है कि मैं मर रही हूं। मेरा डर है कि क्या मेरे जाने के बाद मेरे बच्चे सलामत रहेंगे।
अब साइट से जुटे इस धन उनके अंतिम संस्कार, विमान के टिकट, बच्चों की स्कूली और कानूनी फीस में खर्च होगा। ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली उनकी बहन पिपा ह्यूज के मुताबिक बृहस्पतिवार को सैम की मृत्यु हुई। पर वह जानती थीं कि उन्होंने अपने बच्चों के लिए सब ठीक कर दिया है। उनकी बहन की अंतिम इच्छा थी कि दोनों बेटे जोए और हैरी उनके साथ ऑस्ट्रेलिया में रहें।
ह्यूज कहती हैं कि एक साल में जिंदगी कितनी बदल जाती है। पिछले साल क्रिसमस पर सब साथ थे। पर इस साल सब कुछ बदल गया है। कोई चिंता नहीं थी, लेकिन आप नहीं जानते थे कि क्या होने जा रहा है। हमारे पास रोने के लिए कुछ दिन हैं। पर क्रिसमस जरूर मनाएंगे। सैम के लिए।
मां ने आखिरी सांस भी कर दी अपने बच्चों के नाम, छोड़ गई इतनी दौलत
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