सीट बंटवारे पर फंसे पेंच को लेकर एक घंटे तक चली नीतीश-शाह की मुलाकात, अब डिनर पर मिलेंगे दोनों नेता
- In बिहार 12 July 2018 12:18 PM IST
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पटना पहुंच चुके हैं। जहां उन्होंने नीतीश कुमार से एक घंटे से ज्यादा बातचीत की है। नाश्ते पर करीब एक घंटे से चली यह मुलाकात सीटों के बंटवारे को लेकर हुई है। हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ है कि किसके खाते में कितनी सीटें आएंगी। शाम को एक बार फिर डिनर पर दोनों नेता मुलाकात करेंगे।
अमित शाह आज ज्ञान भवन में भी भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ तीन-तीन बैठकें करेंगे। सूत्रों की माने तो जदयू कार्यकारिणी के बाद सीट बंटवारे पर हुई बयानबाजी के आधार पर शाह दोनों पार्टियों को साथ मिलकर काम करने की सहमति बनाने वाला फार्मूला लेकर आ रहे हैं। हालांकि जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार का चेहरा ही बिहार में एक ऐसा चेहरा है, जो सभी जगहों पर समान रूप से लोकप्रिय है।
मालूम हो कि 2014 लोकसभा चुनाव में राजग उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार में बंटी 40 सीटों में कुल 31 सीटें जीता था, जबकि अलग चुनाव लड़े जदयू को 2 सीट मिली थी। अब जदयू के भी राजग का हिस्सा होने से 33 सीटें इनके कब्जे में हैं।
बाकी की सात सीटों पर राजद, कांग्रेस और दूसरे दल काबिज हैं। माना जा रहा है कि अमित शाह इन्हीं 7 सीटों के जरिए नीतिश को सहमत करने का फार्मूला आजमाने जा रहे हैं।
विपक्ष की टिकी नजर
महागठबंधन के सभी घटक दलों की अमित शाह की पटना यात्रा पर नजर टिकी है। एनडीए के घटक दल रालोसपा को भी इसके नतीजे का इंतजार है। वहीं जद(यू) के वरिष्ठ नेता इसे बहुत निर्णायक बैठक नहीं मान रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि भाजपा के साथ हमारा मुख्य मुद्दा सीटों के बंटवारे का है। बिहार में जद(यू) भाजपा से बड़ी और बड़े जनाधार वाली पार्टी है। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में जद(यू) भाजपा के बराबर सीटों पर ही चुनाव लड़ना चाहती है।
हमारा और हमारे नेता नीतीश कुमार का एजेंडा साफ है। नीतीश कुमार ने एनडीए में बने रहने की घोषणा कर दी है। सूत्र का कहना है कि गेंद भाजपा अध्यक्ष के पाले में है। उन्हें बताना है कि वह कितना गठबंधन धर्म निभाना चाहते हैं। इसलिए जद(यू) राज्य की 40 लोकसभा सीटों के घटक दलों में बंटवारे को लेकर भाजपा के प्रस्ताव का इंतजार कर रही है।
महागठबंधन प्रसन्न है
एनडीए के खेमे में तकरार से महागठबंधन खेमा प्रसन्न है। उसकी प्रसन्नता का एक बड़ा कारण नीतिश कुमार की छवि का फंस जाना है। नीतीश कुमार ने पिछला विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था। महागठबंधन को बहुमत मिला, सरकार बनी और बाद में नीतीश कुमार की पार्टी जद(यू) ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया। इसे राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने पीठ में छूरा घोपना करार दिया था।
पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद ने जद(यू) का विश्वासघात बताकर कड़ी आलोचना की थी और जद(यू) के वरिष्ठ नेता शरद यादव तथा कुछ राज्यसभा सदस्यों, नेताओं ने विरोध करते हुए पार्टी से बगावत कर दी थी। अब इस सभी कुनबे को नीतीश कुमार के साथ भाजपा के नये समीकरण का इंतजार है।