लालू को लेकर मुलायम दिखे उपेंद्र ,कहा- न आरजेडी से दूध मांगा न भाजपा से चीनी
- In बिहार 27 Aug 2018 1:18 PM IST
बिहार में सियासत की खीर तेजी से पक रही है। रविवार को केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की खीर का बयान अब जब तूल पकड़ चुका है तो सोमवार को उन्होंने सफाई दी। कुशवाहा ने कहा कि मैं इस बयान के माध्यम से सामाजिक एकता की बात कर रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक पार्टी को किसी जाति और समुदाय से जोड़ा जाना ठीक नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा पिछले कुछ दिनों से लगातार एनडीए से अलग होने के पूरे संकेत देते आ रहे हैं।
आज भी जब मीडिया उनसे एनडीए से अलग होने पर सवाल करती रही तो वह कभी एनडीए तो कभी आरजेडी के पाले में बॉल डालते नजर आए। कभी उनकी सहानुभूति आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तरफ दिखी तो कभी वह एनडीए के पक्षधर नजर आए। वह फिर बोले कि न मैंने आरजेडी से दूध मांगा है और न भाजपा से चीनी। उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव प्रधानमंत्री एकबार फिर नरेंद्र मोदी ही होंगे।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बीपी मंडल की 100वीं जयंती के मौके पर रविवार को कहा कि यदि यदुवंशियों (यादव) का दूध और कुशवंशियों (कोइरी) का चावल मिल जाए तो बढ़िया खीर बनेगी। उपेंद्र यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि खीर में पंचमेवा की जरूरत को अति पिछड़ा, गरीब और दलित शोषित लोग पूरा करेंगे। चीनी शंकर झा आजाद मिलाएंगे, तुलसी दल भूदेव चौधरी के यहां से लाएंगे।
खीर होगी स्वादिष्ट
वहीं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी ने उपेंद्र कुशवाहा के बयान का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, 'नि:संदेह उपेंद्रजी, स्वादिष्ट व पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरूरत है। पंचमेवा का स्वास्थ्यवर्धक गुण शरीर ही नहीं, स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी ऊर्जा देता है। प्रेमभाव से बनाई खीर में स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है।'
दूध-चावल किसी जात का नहीं
वहीं दूसरी तरफ भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के बयान पर कहा कि ना दूध किसी का है ना चावल किसी जात का है। यह तो देश का है। उपेंद्र कुशवाहा ने सबको साथ लेकर चलने की बात कही है। अब देश में जात की नहीं गोत्र की बात होनी चाहिए।
बता दें कि मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य उपेंद्र कुशवाहा लगातार सरकार और भाजपा से खुद को अलग खड़ा करते रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कई ऐसे बयान दिए जिनसे सरकार और भाजपा दोनों असहज हुईं। विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की सत्ता पर काबिज होने की तैयारी कर रहे उपेंद्र नया घर तलाश रहे हैं।