सत्ता संग्राम: नवादा ने किसी को नहीं दिया ज्यादा मौका, यहां फंसी गिरिराज की प्रतिष्ठा
- In बिहार 1 Aug 2018 12:25 PM IST
नवादा संसदीय क्षेत्र से किसी को ज्यादा मिलने का इतिहास नहीं रहा है। लोकसभा के अबतक कुल 16 चुनावों में यहां से सिर्फ कुंवर राम को ही दोबारा मौका मिल पाया है। 1980 एवं 1984 में कांग्रेस के टिकट पर कुंवर दो बार लगातार चुने गए थे। बाकी सांसदों को नवादा के मतदाताओं ने आया राम गया राम टाइप से निपटाया है। इसे महज संयोग कह सकते हैं। किंतु भाजपा के फायर ब्रांड नेता, सांसद एवं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शायद इसे गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि उन्होंने क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी है। हालांकि उनकी नजर बेगूसराय पर भी है, जिसके लिए वह पिछली बार भी बेताब थे।
ये हैं टिकट के दावेदार
गिरिराज की मुराद पर अगर भाजपा विचार करेगी तो उसे नवादा के लिए एक दमदार प्रत्याशी की तलाश होगी। ऐसे में हिसुआ के विधायक अनिल सिंह या सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर को मौका मिल सकता है। विवेक पिछली बार भी नवादा के प्रबल दावेदार थे। दिल्ली तक सहमति बन चुकी थी, किंतु गिरिराज की आक्रामकता आखिर में भारी पड़ गई।
हाल तक गिरिराज के हमसाया रहे स्थानीय विधायक अनिल ने अभी मोर्चा खोल रखा है। बाहरी-भीतरी का नारा बुलंद कर अपने लिए रास्ता बनाने की जुगत में हैं। दो गुंजाइश और बन रही है। रालोसपा के बागी सांसद अरुण कुमार की नजर भी जहानाबाद से फिसलकर नवादा पर टिक रही है। लोजपा सांसद वीणा देवी के मुंगेर से बेदखल होने की स्थिति में उन्हें नवादा में ही एडजस्ट करने की बात भी हवा में है।
राजद विधायक राजबल्लभ यादव के जेल जाने के बाद महागठबंधन खेमे में भी कम मुश्किल नहीं है। भाजपा से मुकाबले के लिए राजद के पास अभी कोई दमदार उम्मीदवार नहीं है। राजबल्लभ के बड़े भाई कृष्णा यादव के पुत्र अशोक यादव का नाम चलाया जा रहा है। वह नादरीगंज से जिला पार्षद हैं।
हालांकि, नवादा के सामान्य सीट होने के बाद के दो चुनाव नतीजों की समीक्षा के बाद तेजस्वी को अहसास हो गया है कि भूमिहार बहुल इस क्षेत्र में सिर्फ माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण के सहारे भाजपा से मुकाबला नहीं किया जा सकता है। इसलिए वह दूसरे समीकरण पर भी काम कर रहे हैं। ऐसे में कुशवाहा समाज के अनिल मेहता की लॉटरी लग सकती है। अनिल हिसुआ से 2010 में विधायक का चुनाव लड़कर बहुत कम वोटों से हारे थे।
भाजपा के वोट बैंक में दरार डालने का तर्क देकर कांग्रेस भी दावा कर रही है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा सक्रिय हो रहे हैं। श्याम सुंदर सिंह धीरज भी कोशिश में हैं। कांग्रेस का मानना है कि भूमिहार वोट बैंक में डिवीजन के जरिए ही नवादा में भाजपा को चुनौती दी जा सकती है। इसी आधार पर हम के अनिल कुमार की भी नजर है। गठबंधन की राजनीति में जदयू की दावेदारी मजबूत नहीं है। हालांकि पूर्व विधायक कौशल यादव क्षेत्र में सक्रिय हैं और उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव गोबिंदपुर से कांग्रेस की विधायक भी हैं।
अतीत की राजनीति
यहां से सत्यभामा देवी, रामधनी दास, महंथ सूर्य प्रकाश नारायण पुरी, सुखदेव प्रसाद वर्मा, नथुनी राम, कुंवर राम, प्रेम प्रदीप, प्रेमचंद राम, कामेश्वर पासवान, मालती देवी, संजय पासवान, वीरचंद पासवान, भोला सिंह एवं गिरिराज सिंह सांसद बन चुके हैं। आठवीं सदी में यहां पाल शासकों का राज था। 18वीं सदी में कामगार खां के अधीन था। 1857 में जवाहिर रजवार समेत कई क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। महाभारत काल में भीम ने जरासंध की जन्मस्थली तपोवन के पास पाकारदिया गांव का दौरा किया था जो नवादा से तीन मील दूर था।
2014 के महारथी और वोट
गिरिराज सिंह : भाजपा : 390248
राज बल्लभ यादव : राजद : 250091
कौशल यादव : जदयू : 168217
विधानसभा क्षेत्र
रजौली (राजद), नवादा (राजद), बरबीघा (कांग्र्रेस), गोबिंदपुर (कांग्रेस), हिसुआ (भाजपा), वारिसलीगंज (भाजपा)