भाजपा-जदयू के बीच सीटों के बंटवारे में 'बड़े भाई' साबित हुए नीतीश
- In बिहार 27 Oct 2018 11:10 AM IST
लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में भले जदयू और भाजपा के बीच बराबर सीटों पर सहमति बनी है लेकिन बराबरी की इस लड़ाई में नीतीश ही 'बड़े भाई ' साबित हुए हैं। 2014 के मुकाबले 2019 में भाजपा को सबसे अधिक सीटों का नुकसान होगा, वहीं जदयू को सबसे ज्यादा नफा।
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। इस समय भाजपा के 22 सांसद हैं। भाजपा की हिस्सेदारी बिहार की आधी से दो अधिक है। पिछली बार भाजपा के 30 उम्मीदवार मैदान में थे। इस बार अगर वह 16- 17 सीटों पर सिमटती है तो उसे अपने ही पांच सांसदों को बेटिकट करना होगा। वैसे अमित शाह ने अन्य घटक दलों जैसे लोजपा और रालोसपा की सीटें कम होने के भी आज संकेत दिये हैं, लेकिन बिहार में किसी भी दल के मुकाबले भाजपा की क्षति सबसे ज्यादा होगी।
17 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है जदयू
जदयू को पिछले चुनाव में दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन इस बार वह 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। ऐसे में उसे सबसे ज्यादा फायदा है। वैसे जदयू और कांग्रेस दोनों के दो-दो सांसद हैं। ऐसे में राजद और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे के बाद ही यह तय हो पाएगा कि सबसे अधिक फायदे में कौन सा दल रहा। अब तक की तस्वीर तो नीतीश कुमार को ही आगे बता रही है।
आज के फैसले के बाद भाजपा और जदयू अगर 17 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो भाजपा सबसे अधिक नुकसान उठाएगी। वहीं रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा पांच सीटों पर और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएसएलपी दो सीटों पर चुनाव लड़ती है तो पिछले चुनाव के मुकाबले इन्हें भी एक एक सीट का नुकसान होगा। यानी भाजपा, लोजपा और आरएलएसपी तीनों को ही पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में कम सीटें मिल रही हैं।
कुशवाहा-तेजस्वी की मुलाकात में पकी सियासी 'खीर'
दिल्ली में नीतीश और अमित शाह के बीच सीटों के बंटवारे की दाल गलने के तुरंत बाद शुक्रवार को ही बिहार के अरवल में उपेंद्र कुशवाहा और तेजस्वी ने बंद कमरे में मुलाकात की। चिराग पासवान के भी तेजस्वी से फोन पर बात की चर्चा है।
ज्यादा सीटों और अपना चुनाव क्षेत्र बदलने की चाहत में कुशवाहा ने यदुवंशियों के दूध और कुशवंशियों के चावल को मिलाकर बढ़िया खीर पकाने की पहल कर दी है। राजग में कुशवाहा को महज दो सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है जबकि राजद ने चार का भरोसा दे दिया है।