बॉलीवुड में भी छाए रहे राष्ट्रपिता, इस फिल्म में जीवंत हुआ गांधी का चंपारण
- In बिहार 30 Jan 2019 1:07 PM IST
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या आज ही के दिन 1948 में हुई थी। उनके त्याग व बलिदान से पूरी दुनिया अवगत है। गांधी के विचार केवल किताबों में नहीं, बल्कि उनके जीवन पर बॉलीवुड में कई फिल्में भी बनीं हैं। इनमें हॉलीवुड की मूल तथा हिंदी में डब की गई फिल्म 'गांधी' को ऑस्कर अवार्ड मिल चुका है। इस फिल्म में बिहार के उस ऐतिहासिक चंपारण सत्याग्रह की भी चर्चा है, जिसने भारत में उनके अहिंसक आंदोलन की नींव रखी। आइए जानते हैं ऐसी कुछ फिल्मों के बारे में, जिन्होंने सहज अंदाज में महात्मा गांधी को समझने में मदद की है।
गांधी (1982)
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर बनी ऑस्कर अवार्ड से सम्मानित रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' साल 1982 में बनी थी। इसमें हॉलीवुड एक्टर बेन किंस्ले ने गांधी का किरदार निभाया था। यह फिल्म गांधीजी के जीवन पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में शुमार है। फिल्म में बिहार के चंपारण आंदोलन को दिखाया गया है। यह वही चंपारण आंदोलन है, जिसके साथ गांधी का भारत में अहिंसक सत्याग्रह आंदोलन आरंभ हुआ।
सरदार (1993)
गांधी और सरदार पटेल के विचारों में मतभेद को रेखांकित करती यह फिल्म दोनों के रिश्तों को समझने का अवसर देती है। फिल्म में गांधी का किरदार अन्नू कपूर ने निभाया था। परेश रावल भी सरदार पटेल के किरदार में प्रभावी लगे थे। द मेकिंग ऑफ गांधी (1996)
श्याम बेनेगल की फिल्म 'द मेकिंग ऑफ गांधी' 1996 में रिलीज हुई थी। इसमें मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा बनने की कहानी को बखूबी दिखाया गया है। फिल्म में रजित कपूर ने गांधी का किरदार निभाया है।
हे राम (2000)
भारत विभाजन और महात्मा गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि पर कमल हसन ने 'हे राम' फिल्म बनाई। साल 2000 में रिलीज इस फिल्म में महात्मा गांधी का किरदार नसीरुद्दीन शाह ने निभाया।
डॉ. बाबा साहब अंबेडकर (2000)
डॉ. भीमराव बाबासाहब अंबेडकर एवं महात्मा गांधी के बीच कुछ मुद्दों पर मजभेद थे। इन मुद्दों फोकस करती इस फिल्म ने दोनों नेताओं के रिश्तों को बखूबी समझाया। फिल्म में गांधी के रूप में मोहन गोखले का किरदार प्रभावी दिखा।
द लीजेंड ऑफ भगत सिंह (2000)
राजकुमार संतोषी ने 2002 में 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' फिल्म बनाई। इसमें भगत सिंह को गांधी जी से प्रेरित होने, फिर विचारों में मतभेद होने के चलते अलग होने के पीछे की कहानी को दिखाया गया। फिल्म में सुरेंद्र रंजन ने गांधीजी का किरदार निभाया।
मैंने गांधी को नहीं मारा
(2005)
साल 2005 में जहनु बरूआ द्वारा निर्मित यह फिल्म एक ऐसे इंसान की मन:स्थिति दिखाती है, जिसे यह वहम हो जाता है कि उसने गांधीजी को मारा है। फिल्म में यह वहम अनुपम खेर को हो जाता है।लगे रहो मुन्नाभाई (2006)
साल 2006 में राजकुमार हिरानी द्वारा बनाई गई फिल्म 'लगे रहो मुन्नाभाई' की चर्चा के बगैर गांधीजी पर बनी फिल्मों की चर्चा पूरी नहीं होगी। फिल्म में संजय दत्त को महात्मा गांधी दिखाई देते हैं। गांधीजी का किरदार दिलीप प्रभावलकर ने निभाया। गांधी माई फादर
(2007)
यह गांधीजी के जीवन के दुखद प्रसंग का चित्रण है। महात्मा गांधी और उनके बेटे हरिलाल के रिश्तों पर साल 2007 में फिरोज अब्बास मस्तान के निर्देशन में बनी 'गांधी माइ फादर' रिलीज हुई। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त इस फिल्म में महात्मा गांधी का किरदार दर्शन जरीवाला ने निभाया।
रोड टू संगम (2010)
एक मुस्लिम मैकेनिक की जिंदगी पर आधारित इस फिल्म के निर्देशक अमित राय थे। साल 2010 में रिलीज फिल्म में एक मुसलमान कार मैकेनिक को एक पुरानी फोर्ड वी8 इंजन कार को रिपेयर करने की जिम्मेदारी दी गई। उसे जानकारी नहीं थी कि इसी कार से महात्मा गांधी की अस्थियों को त्रिवेणी संगम ले जाकर प्रवाहित किया गया था।