पटना साहिब सीट किसकी, भाजपा के रविशंकर या कांग्रेस के शत्रुघ्न की
- In बिहार 14 May 2019 10:35 AM IST
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के छह चरण का मतदान पूरा हो गया है। अब बिहार में सातवें चरण के लिए 8 सीटों पर मतदान होगा। इस चरण में काफी दिलचस्प मुकाबला है। लोकसभा चुनाव की इन सभी सीटों पर बीजेपी, जेडीयू (JDU) और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है।
लेकिरन सबसे वीआईपी सीट पटना साहिब सीट बनी हुई है जहां सातवें चरण में कांग्रेस के शत्रुध्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) का मुकाबला बीजेपी के केद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) से है। वैसे बिहार में यह कहा जाता है कि राज्य की तीन सीटों पर कोई बहस नहीं हो सकती, क्योंकि यह पहले से तय होता है कि यहां से कौन जीतेगा? जिसमें पटना साहिब, नालंदा और किशनगंज सीट शामिल हैं।
शुरू से ही माना जाता रहा है कि पटना साहिब से बीजेपी, नालंदा से जेडीयू और किशनगंज से कांग्रेस किसी को भी टिकट दे दे तो वह आसानी से जीत जाएगा और ये बात लगातार साबित भी होती रही है। तो क्या इस बार शत्रुघ्न सिन्हा इस मिथक को तोड़ पाएंगे? ये सबसे बड़ा सवाल है।
ये सवाल इसलिए क्योंकि शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha News) पिछले दो बार से पटना साहिब की सीट (Patna Sahib Lok Sabha Seat) बतौर बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर जीतते आए हैं, मगर यह भी सच्चाई है कि परिसीमन के पहले आरजेडी के रामकृपाल यादव (Ram Kripal Yadav) ने पटना की यह सीट 2004 में जीती थी।
बाद में पटना साहिब और पाटलिपुत्र (Patliputra Lok Sabha Seat) नाम से दो लोकसभा सीट बनाई गई और भाजपा के टिकट से शत्रुघ्न सिन्हा ने पटना साहिब सीट से दर्ज की है। अब बदले हालात में जहां शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के प्रत्याशी हैं और इस बार इस सीट पर उनका मुकाबला भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद के बीच है। तो क्या ये मिथक वो तोड़ पाएंगे।
वहीं पाटलिपुत्र सीट की बात करें तो यहां राजद की उम्मीदवार लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती और कभी लालू के हनुमान कहे जाने वाले और वर्तमान में बीजेपी के प्रत्याशी रामकृपाल यादव के बीच कड़ी टक्कर है।
पटना साहिब की बात करें तो परिसीमन के बाद पटना साहिब में कायस्थ वोट ही निर्णायक वोट रहा है और इस बार दो कायस्थ मैदान में हैं और एक तीसरे कायस्थ नेता भी हैं जो परदे के पीछे से इस चुनाव में असर डाल रहे हैं। यानि राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा। उन्होंने अपनी संपत्ति 800 करोड़ की घोषित की है और वे अपने बेटे के लिए इस सीट से ही टिकट चाहते थे।
यही वजह है कि जब लोकसभा का टिकट लेकर रविशंकर प्रसाद पटना पहुंचे थे तो एयरपोर्ट पर ही आरके सिन्हा और रविशंकर प्रसाद के सर्मथक भिड़ गए थे। मगर सच्चाई यह है कि पटना साहिब के छह में से पांच विधानसभा पर बीजेपी का कब्जा है और फतुहा की एक सीट राजद के पास है।
2009 में पटना साहिब से भाजपा के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा को 57 फीसदी और 2014 में उन्हें ही 55 फीसदी वोट मिले थे। मगर इस बार दो कायस्थ नेताओं के बीच सीधी टक्कर है और इस बार मतदाता भी बंटे हुए हैं।लेकिन यहां के लोग यह मानकर चल रहे हैं कि ये दोनों हवा हवाई नेता हैं। जैसे शत्रुध्न सिन्हा क्षेत्र में नहीं आते थे, वही हाल रविशंकर प्रसाद का भी होगा।
रविशंकर प्रसाद जीवन भर राज्यसभा में रहे। पिछला चुनाव उन्होंने 45 साल पहले लड़ा था वो भी पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ का। उस समय लालू यादव अध्यक्ष पद पर जीते थे और सुशील मोदी और रविशंकर प्रसाद अन्य पदों पर जीतने में सफल हुए थे। तब से लेकर अभी तक उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा है। यहां तक कि स्थानीय निकाय का भी चुनाव नहीं लड़ा है।
रविशंकर प्रसाद तो पहले से ही राज्यसभा में हैं और उनका टर्म अभी पांच साल के लिए बचा हुआ है। ऐसे में एक कायस्थ यानि शत्रुघ्न सिन्हा को हराना मतलब एक कायस्थ सांसद की कमी करना होगा। तर्क चाहे जो भी हो शत्रुघ्न सिन्हा हो मुस्लिम यादव और कांग्रेस वोटों का भरोसा है। साथ में उनका अपना स्टार पावर यानि बिहारी बाबू का तमगा भी उन्हें औरों से अलग करता है।
वहीं, रविशंकर प्रसाद को प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ पार्टी संगठन पर भरोसा है, क्योंकि ये बीजेपी की परंपरागत सीट है। अब ये तो 23 मई को ही पता चलेगा कि इस सीट पर किसका कब्जा होगा? शत्रुघ्न सिन्हा कायस्थ वोट पाकर हैट्रिक लगाएंगे या कायस्थों के ही वोट पर रविशंकर प्रसाद के सिर पर पटना साहिब का ताज सजेगा।