सपा-बसपा की दोस्ती की काट के लिए BJP ने बनाई ये रणनीति
- In बिहार 20 March 2018 12:20 PM IST
सपा और बसपा ने 23 साल पुरानी...Editor
सपा और बसपा ने 23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर दोस्ती का हाथ मिलाया तो उपचुनाव में बीजेपी चारों खाने चित हो गई. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में बसपा के समर्थन से सपा ने बीजेपी को करारी मात दी. इतना ही नहीं बीजेपी और सीएम योगी के मजबूत दुर्ग गोरखपुर को भी इस दोस्ती ने ध्वस्त कर दिया. इससे बीजेपी के मिशन 2019 और पार्टी कैडर को सूबे में गहरा झटका लगा है. ऐसे में बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव के लिए मौजूदा रणनीति में बदलाव करके दोबारा से दुरुस्त करना होगा.
सपा बसपा की दोस्ती को मात देने की रणनीति पर बीजेपी
बीजेपी ने मिशन 2019 में सपा और बसपा की दोस्ती को मात देने के लिए काम शुरू कर दिया है. अंग्रेजी अखबार ईटी के मुताबिक प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री, मुख्यमंत्री और बीजेपी के रणनीतिकार इस बात को लेकर काफी संजीदा है. बीजेपी रणनीतिकार के सहयोगियों ने बताया कि बीजेपी अब सपा और बसपा शासन के दौरान के भ्रष्टाचार और अराजकाता को लोगों के बीच आक्रामक अभियान चलाएगी. इसके अलावा सूबे के पार्टी के ओबीसी नेताओं को बढ़ावा देना है. बीजेपी अपने बूथ प्रबंधन को फिर से दुरुस्त करेगी और गांवों पर विशेष ध्यान देगी.
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, हम इस (सपा-बसपा) गठबंधन का पर्दाफाश करेंगे. बसपा और सपा के शासन के तहत भ्रष्टाचार और अराजकता का वर्चस्व था. उपचुनाव से सबक लिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और अभियान की ताकत के साथ-साथ अमित शाह की चाणक्य नीति से 2019 फतह करेंगे.
'गठबंधन का कौन नेता होगा'
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि पार्टी आक्रामक अभियान के माध्यम से लोगों को बताएगी कि सपा-बसपा गठंबधन सिर्फ स्वार्थी है और अपने फायदे के लिए है. इससे सूबे को कोई लाभ नहीं होगा. सपा-बसपा गठबंधन से पूछेंगे कि उनका नेता कौन है- मायावती, अखिलेश या मुलायम सिंह. उन्होंने कहा कि सूबे की जनता को इस बात के लिए जागरुक करेंगे कि लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा को वोट देने से क्या फायदा होगा?
बीजेपी प्रवक्ता चंद्र मोहन ने कहा कि सूबे के लोग सपा-बसपा के 15 साल के पापों को अभी नहीं भूले हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा हो गया और मुख्यमंत्री योगी का काम हो गया. बीजेपी के वरिष्ठ रणनीतिकार ने स्वीकार किया कि सपा-बसपा 2019 चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए बैकवर्ड और फॉरवर्ड कर रही है. इसीलिए बीजेपी अपनी रणनीति में दोबारा से बदलाव करने के लिए काम कर रही है.
2014 का समीकरण
बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चलते बीजेपी गठबंधन को सूबे की 80 लोकसभा सीटों में 73 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन उपचुनाव में दो सीटों पर हार के बाद अब 71 बची हैं. 2014 में विपक्षी दलों का सफाया हो गया था. बसपा का तो खाता भी नहीं खुल सका था और कांग्रेस सिर्फ रायबरेली और अमेठी ही जीत सकी थी. जबकि सपा ने पांच सीटें जीती थी, जो सभी मुलायम सिंह यादव परिवार की थी.
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