दांव पर NDA की प्रतिष्ठा, बड़ा सवाल- क्या कायम रहेगा वर्चस्व?
- In बिहार 12 May 2019 10:44 AM IST
बिहार में लोकसभा चुनाव के छठे चरण (Bihar Lok Sabha Election Phase 6) में आठ सीटों (पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, वाल्मीकिनगर, सिवान और महाराजगंज) पर रविवार को वोट डाले जा रहे हैं। गत लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने परचम लहराया था। खास बात यह कि वैशाली में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की जीत को छोड़ दें तो शेष सभी सीटें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में गईं थीं। लेकिन बड़े दलों के क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन ने वोटों के जमीनी समकरण बदल दिए हैं। टिकट कटने से दलों के अंदर भी 'ऑल इज वेज' नहीं है। ऐसे में एनडीए के सामने अपनी साख को बचाने की बड़ी चुनौती है।
बदले राजनीतिक समीकरण में एनडीए के आठ में से चार सिटिंग सांसद बेटिकट कर दिए गए हैं। एनडीए में जेडीयू को एडजस्ट करने के लिए बीजेपी ने अपनी तीन सीटों (सिवान, वाल्मीकिनगर व गोपालगंज) का त्याग कर दिया है। जबकि, वैशाली में एलजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है।
कहां किसके बीच है मुकाबला, जानिए
छठे चरण के चुनाव में बिहार की सभी आठ सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच ही मुकाबला होता दिख रहा है। हालांकि, इसमें दलों में आंतरिक असंतोष, बेटिकट सांसदों के रुख तथा बदले जमीनी समरकरण अहम भूमिका निभाएंगे। लोकसभावार बात करें तो मुकाबले की स्थिति कुछ यूं दिख रही है...
सीटें, जहां सिटिंग सांसद लड़ रहे चुनाव
- पश्चिमी चंपारण: यहां बीजेपी के सिटिंग सांसद डॉ. संजय जायसवाल ही एनडीए के प्रत्याशी हैं। उनका मुकाबला महागठबंधन के राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) प्रत्याशी ब्रजेश कुमार कुशवाहा से हो रहा है।
पूर्वी चंपारण: यहां बीजेपी के सिटिंग सांसद राधामोहन सिंह फिर एनडीए के प्रत्याशी हैं। उनका मुकाबला आरएलएसपी के आकाश सिंह से है।
- शिवहर: यहां बीजेपी की सिटिंग सांसद रमा देवी फिर एनडीए के प्रत्याशी हैं। उनके मुकाबले में महागठबंधन के राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रत्याशी सैयद फैजल अली ताल ठोक रहे हैं।
- महाराजगंज: यहां बीजेपी के सिटिंग सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल फिर एनडीए प्रत्याशी हैं। उनके मुकाबले में महागठबंधन के आरजेडी प्रत्याशी रणधीर सिंह हैं।
सीटें, जिनका बीजेपी ने जेडीयू के लिए किया त्याग
- वाल्मीकिनगर: यहां के वर्तमान सांसद बीजेपी के सतीश चंद्र दुबे हैं। लेकिन एनडीए में यह सीट जेडीयू के खाते में गई है। यहां जेडीयू के बैद्यनाथ प्रसाद महतो और महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी शाश्वत केदार के बीच मुकाबला है।
- गोपालगंज: यहां के वर्तमान बीजेपी सांसद जनकराम बेटिकट कर दिए गए हैं। यहां एनडीए के लिए जेडीयू प्रत्याशी अजय कुमार सुमन चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ महागठबंधन के आरजेडी प्रत्याशी सुरेंद्र राम हैं।
- सिवान: यहां के वर्तमान बीजेपी सांसद ओम प्रकाश यादव को टिकट नहीं मिला। यहां एनडीए से जेडीयू की कविता सिंह प्रत्याशी हैं। उनका मुकाबला महागठबंधन की आरजेडी प्रत्याशी हिना शहाब से है।
सीट, जहां पार्टी ने सिटिंग सांसद को किया बेटिकट
- वैशाली: यहां एलजेपी ने अपने सिटिंग सांसद रामा सिंह को टिकट नहीं दिया। उनके बदले पार्टी ने वीणा देवी को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला महागठबंधन के आरजेडी राजद प्रत्याशी रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ है।
वाल्मीकिनगर: एनडीए की नजर हैट्रिक पर
साल 2009 में बनाए गए वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र में अब तक हुए दो लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत हुई है। 2009 में यहां जदयू जेडीयू प्रत्याशी की जीत हुई थी। जबकि, 2014 में जेडीयू को पराजित कर यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। 2009 में बीजेपी व जेडीयू साथ थे, तो 2014 में जेडीयू ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया था। इस बार दोनों फिर साथ हैं। यहां से जेडीयू के वैद्यनाथ प्रसाद महतो चुनाव मैदान में हैं। सवाल यह है कि क्या यहां एनडीए लगातर तीसरी जीत दर्ज कर हैट्रिक बनाएगा? इस बार भी महागठबंधन के लिए इस सीट पर एनडीए बड़ी चुनौती दे रहा है।
वाल्मीकिनगर से 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सतीश चंद्र दुबे जीते थे। उन्हें 3,64,013 वोट मिले थे। जब जेडीयू प्रत्याशी को 81,612 वोट मिले थे। उस चुनाव में आरजेडी और कांग्रेस साथ थे। तब कांग्रेस को 2,46,218 वोट मिले थे।
यहां की छह विधानसभा सीटों में से तीन पर बीजेपी, एक पर जेडीयू का कब्जा है। शेष दो सीटों में से एक कांग्रेस के खाते में गईथी। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई है।
पश्चिमी चंपारण: एनडीए के किले को भेदना बड़ी चुनौती
पश्चिमी चंपारण सीट पर पिछले दो चुनावों से बीजेपी के डॉ. संजय जायसवाल जीतते रहे हैं। बीते दो चुनावाें में उन्होंने फिल्म निर्देशक प्रकाश झा को शिकस्त दी। प्रकाश झा 2009 के चुनाव में एलजेपी तो 2014 में जेडीयू के प्रत्याशी थे, लेकिन इस चुनाव में ये तीनों दल एनडीए की छतरी के नीचे हैं। डॉ. संजय जायसवाल फिर एनडीए के प्रत्याशी हैं। महागठबंधन की ओर से आरएलएसपी के डॉ. ब्रजेश कुमार कुशवाहा ताल ठोक रहे हैं। पश्चिमी चंपारण में एनडीए के किले को भेदना महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती है।
पश्चिमी चंपारण के चुनावी समीकरण एनडीए के पक्ष में रहे हैं। 2014 में बीजेपी के डॉ. संजय जायसवाल को 3,71,232 वोट मिले थे। उनके मुकाबले प्रकाश झा को 2,60,978 और आरजेडी के रघुनाथ झा को 1,21,800 वोट मिले थे। यहां की विधानसभा सीटों की बाते करें तो कुल छह में से चार पर बीजेपी का कब्जा है। एक-एक सीट पर आरजेडी व कांग्रेस के विधायक हैं।
इस चुनाव में बीते चुनाव में बीजेपी का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी जेडीयू उसके साथ है। महागठबंधन में आरएलएसपी से ब्रजेश कुमार कुशवाहा मैदान में हैं। ब्रजेशको आरजेडी व कांग्रेस के वोट ट्रांसफर होने की उम्मीद है।
पूर्वी चंपारण: यहां आसान नहीं महागठबंधन की राह
पूर्वी चंपारण सीट पर पांच बार सांसद रहे एनडीए के बीजेपी प्रत्याशी राधा मोहन सिंह का मुकाबला आरएलएसपी के आकाश कुमार सिंह से है। आकाश सिंह बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह के पुत्र हैं। अखिलेश सिंह भी यहां से सांसद रह चुके हैं। पूर्वी चंपारण में भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (CPI) के प्रभाकर जायसवाल भी मैदान में हैं। यहां बीजेपी को शिकस्त देना महागठबंधन के लिए आसान नहीं दिख रहा।
बीते लोकसभा चुनाव में यहां राधामोहन सिंह ने आरजेडी के विनोद कुमार श्रीवास्तव को दोगुने मतों के अंतर से पराजित किया था। राधामोहन सिंह को 4,00,452 वोट मिले थे तो , विनोद कुमार श्रीवास्तव 2,08,089 वोटों में सिमट गए थे। जेडीयू के अवनीश कुमार सिंह को 1,28,604 वोट मिले थे। इस बार बीजेपी व जेडीयू साथ हैं। उधर, महागठबंधन में सीट शेयारिंग के दौरान आरजेडी ने यह सीट आरएलएसपी को दे दी है। यहां की छह विधानसभा सीटों में तीन बीजेपी व एक एलजेपी के पास है। शेष दो पर आरजेडी के विधायक हैं।
शिवहर: महागठबंधन पर भारी पड़ सकता आरजेडी का कलह
बिहार की शिवहर सीट पर दो बार से बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी की रमा देवी तीसरी बार सांसद बनने के लिए एनडीए की प्रत्याशी हैं। महागठबंधन की तरफ से आरजेडी के सैयद फैजल अली ताल ठोक रहे हैं। यहां आरजेडी में भितरघात की आशंका है। इसी सीट पर लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रातप यादव ने आरजेडी प्रत्याशी के खिलाफ अपना प्रत्याशी (अंगेश कुमार) दिया था। हालांकि, अंगेश कुमार का नामांकन रद हो गया, लेकिन यहां आरजेडी का आंतरिक कलह महागठबंधन पर भारी पड़ सकता है। .
गत लोकसभा चुनाव में बीजेपी की रमा देवी को 3,72,506 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर रहे आरजेडी के मो. अनवारुल हक को 2,36,267,तो जेडीयू के शाहिद अली खान को 79,108 वोट मिले थे। तब बहुजन समाज पार्टी (BSP) के उम्मीदवार रहे अंगेश कुमार को 26,446 वोट मिले थे तो समाजवादी पार्टी (SP) से चुनाव लड़ने वाली लवली आनंद को 46,008 वोट मिले थे। बदले समीकरण में इस बार रमा देवी को जेडीयू वोट मिलने की उम्मीद है। लवली आनंद के बीजेपी के साथ जाने का लाभ भी रमा देवी को मिलता दिख रहा है। वहीं आरजेडी में कलह के बाद तेज प्रताप के करीबी प्रत्याशी अंगेश का नामांकन भले ही रद हो गया हो, उनके समर्थक पार्टी के साथ भितरघात कर दें तो आश्चर्य नहीं।
शिवहर की छह विधानसभा सीटों में से बीजेपी व जेडीयू दो-दो पर काबिज हैं। एक-एक सीट पर कांग्रेस और आरजेडी के विधायक भी हैं।
वैशाली: यहां एलजेपी में भितरघात की आशंका
वैशाली लोकसभा सीट पर राजपूत वोट निर्णायक हैसियत रखते हैं। यहां 12 चुनावों में से 10 बार राजपूत प्रत्याशी की जीते हैं। आरजेडी के डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह यहां से लगातार पांच बार सांसद निर्वाचित रहे हैं. लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में उन्हें बाहुबली एलजेपी नेता रामा सिंह ने शिकस्त दी थी। इस बार एलजेपी ने अपने सिटिंग सांसद रामा सिंह को बेटिकट कर एकऔर बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को टिकट दिया है। उनके मुकाबले में महागठबंधन के आरजेडी प्रत्याशी रघुवंश प्रसाद सिंह हैं।
गत लोकसभा चुनाव में एलजेपी के रामा सिंह को 305450 वोट मिले थे। आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह 206183 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। जेडीयू के विजय कुमार सहनी को 144807 वोट मिले थे। बदले राजनीतिक समीकरण में बेटिकट किए गए सिटिंग सांसद रामा सिंह की नाराजगी वीणा देवी पर भारी पड़ सकती है। उधर, गत चुनाव में अलग चुनाव मैदान में कूदे बीजेपी व जेडीयू इस बार साथ हैं।
वैशाली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा सीटों में से तीन पर आरजेडी का कब्जाहै। जबकि, बीजेपी व जेडीयू के एक-एक विधायक हैं तो एक सीट पर निर्दलीय का कब्जा है।
महाराजगंज: खेल बना-बिगाड़ सकते राजपूत व एम-वाय वोट
लोकसभा चुनाव के छठे चरण में राजपूत बहुल एक और सीट है महाराजगंज। सारण और सिवान सीवान जिलों में फैले इस सीट पर राजपूत वोट निर्णायक हैसियत रखते हैं तो एम-वाय (मुस्लिम-यादव) समीकरण भी खेल बना या बिगाड़ सकने की ताकत रखता है। जहां जातीय समीकरण व दलों के वोट बैंक चुनावी नतीजे प्रभावित करते दिख रहे हैं।
यहां एनडीए की आेर से बीजेपी के सिटिंग सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल मैदान में हैं। इस सीट पर महागठबंधन में आरजेडी ने उनके खिलाफ चार बार सांसद रहे बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को मैदान में उतारा है।
गत चुनाव में महाराजगंज से बीजेपी के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल सांसद बने थे। उन्होंने आरजेडी के बाहुबली प्रभुनाथ सिंह को शिकस्त दी थी। सिग्रीवाल को 3,20,753 वोट मिले थे तो प्रभुनाथ सिंह 2,82,338 वोट के साथ दूसरे नंबर पर थे। यहां जेडीयू ने भी बाहुबली मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह को मैदान में उतरा था,जिनको 1,49,483 वोट मिले थे।
यह सीट 1996 से 2009 तक चार बार जेडीयू के पास रही। 2014 के चुनाव में जब बीजेपी ने जेडीयू को हरा दिया। इस बार बीजेपी व जेडीयू दोनों एक साथ हैं। इस क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो महागठबंधन मजबूत स्थिति में दिख रहा है। यहां की छह विधानसभा सीटों में से तीन पर आरजेडी व एक पर कांग्रेस का कब्जा है। यहां के दो विधायक जेडीयू के हैं।
गोपालगंज: लालू के क्षेत्र में आसान नहीं महागठबंधन की राह
गोपालगंज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का पैतृक क्षेत्र है। यह एससी वर्ग के लिए सुरक्षित सीट है। हालांकि, यहां ब्राह्मण वोट निर्णायक हैसियत रखते हैं। इस चुनान में एनडीए की ओर से जेडीयू के अजय कुमार सुमन महागठबंधन के आरजेडी प्रत्याशी सुरेंद्र राम के समाने हैं। लालू के इस क्षेत्र में महागठबंधन की राह आसान नहीं दिख रही।
बीते चुनाव की बात करें तो बीजेपी के जनक राम को 4,78,773 वोट मिले थे। कांग्रेस की डॉ. ज्योति भारती को 1,91,837 तो जेडीयू के अनिल कुमार को 1,00,419 वोट मिले थे। इस बार बीजेपी व जेडीयू साथ हैं। हालांकि, बीजेपी की सीट को काटकर जेडीयू के हवाले किएजाने से असंतोष भी है।
यहां विधानसभा सीटों का समीकरण एनडीए के साथ है। यहां की छह विधानसभा सीटों में से दो-दो पर बीजेपी व जेडीयू काबिज है। जबकि, आरजेडी व कांग्रेस के एक-एक विधायक हैं।
सिवान: दो महिलाओं के कंधों पर बाहुबल की जोर-आजमाइश
सिवान लोकसभा क्षेत्र में इस बार दो बाहुबलियों (मो. शहाबुद्दीन और अजय सिंह) की पत्नियां ताल ठोक रहीं हैं। शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब महागठबंधन से आरजेडी की प्रत्याशी हैं तो को तो एनडीए से जेडीयू ने अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह को मैदान में उतारा है।
शहाबुद्दीन यहां से चार बार सांसद रह चुके हैं तो उनकी पत्नी हिना शहाब दो बार चुनाव हार चुकी हैं। हिना को 2009 में निर्दलीय और 2014 में बीजेपी के टिकट पर ओमप्रकाश यादव ने हराया था। लेकिन इस बार सीट शेयरिंग में यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई। यहां बीजेपी को टिकट नहीं मिलने से पार्टी में एक धड़ा असंतुष्ट बताया जा रहा है। इससे भितरघात की आशंका है।
बीते लोकसभा चुनाव में सिवान सीट पर बीजेपी के ओमप्रकाश यादव को 3,72,670 वोट मिले थे। आरजेडी की हिना शहाब को 1 को 2,58,823 तो सीपीआइ (माले) के अमरनाथ यादव ने करीब 81 हजार और जेडीयू के मनोज सिंह को करीब 79 हजार वोट मिले थे। इस बार बीजेपी व जेडीयू एक साथ हैं।
विधानसभा के समीकरण की बात करें तो यहां की कुल छह विधानसभा सीटों में से तीन पर जेडीयू का कब्जा है। शेष में एक बीजेपी के पास है। यहां आरजेडी व सीपीआइ माले के एक-एक विधायक हैं।