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मैं अपनी फिल्मों के लिए फीस के तौर पर एक रुपया भी नहीं लेता: आमिर खान

मैं अपनी फिल्मों के लिए फीस के तौर पर एक रुपया भी नहीं लेता: आमिर खान
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'लगान', 'रंग दे बसंती', 'पीके', 'दंगल' और 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तां' जैसी फिल्मों में अलग-अलग अवतार में नजर आने वाले अभिनेता आमिर खान ने कहा कि वह कुछ नया नहीं करने को लेकर डरते हैं. टाटा स्काई एक्टिंग अड्डा पर 'आमिर की पाठशाला' में आमिर ने अपनी सफलता, बतौर निर्माता अपनी जिम्मेदारी व अन्य पहलुओं पर बात की.

उन्होंने कहा, 'मैं असफल होने से नहीं डरता हूं. मैं कुछ नया ट्राई नहीं करने से डरता हूं. बतौर निर्माता और निर्देशक जब कोई कहानी दर्शकों को छूती है तो तब मैं महसूस करता हूं कि मैंने कुछ हासिल कर लिया है'. काफी कम उम्र से ही आमिर अपने निर्देशक पिता ताहिर हुसैन से काफी प्रभावित थे तो उनसे हमेशा उनसे पूछा करते थे कि आप एक लाइन में कैसे किसी कहानी को बताएंगे? आपकी कहानी का आधार क्या है? इन सवालों ने फिल्मों की पटकथाओं के चयन के लिए आमिर के जीवन में आधार स्थापित किया.

बतौर अभिनेता आमिर कहते हैं, 'मैं अपनी फिल्मों के लिए फीस के तौर पर एक रुपया भी नहीं लेता. यह ख्याल रखना मेरी जिम्मेदारी है कि फिल्म की लागत वसूल हुई हो और पूरी टीम को भुगतान किया जा चुका है और जब यह हो जाता है तो मुझे फिल्म के मुनाफे में मेरा हिस्सा मिलता है. यह मुझमें जिम्मेदारी की भावना भरता है'.

फिलहाल आमिर खान इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तां' को लेकर काफी चर्चा में हैं. इस फिल्म में आमिर खान के साथ अमिताभ बच्‍चन भी हैं. बिग बी इस फिल्‍म में 'बख्‍तावर' के किरदार में नजर आएंगे. उनका यह लुक काफी पसंद किया जा रहा है. इस फिल्‍म में कैटरीना कैफ, फातिमा सना शेख भी नजर आएंगी.

बता दें कि 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तान' फिल्म 1839 के एक उपन्यास पर आधारित है. फिल्म को माल्टा व राजस्थान के रमणीय जगहों पर फिल्माया गया है. फिल्म 'ठग्स ऑफ हिंदुस्तान' को डिजिटल रूप में आईमैक्स फॉर्मेट में बनाया गया है. यह इस फॉर्मेट में पांचवीं भारतीय फिल्म है. इससे पहले 'धूम 3', 'बैंग बैंग', 'बाहुबली 2' व 'पद्मावत' को आईमैक्स फॉर्मेट का रूप दिया गया. यह फिल्म 8 नवंबर को रिलीज होने जा रही है.

दरअसल यह एपिक एक्‍शन-एडवेंचर फिल्‍म ब्रिटिश लेखक और प्रशासक फिलिप मीडोज टेलर के 1839 के उपन्‍यास कंफेशंस ऑफ ए ठग (Confessions of a Thug) पर आधारित है. इसमें एक ऐसे ठग की कथा है जिसका गैंग 19वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश भारत में अंग्रेजों के लिए खासा सिरदर्द बन गया था. यह उपन्‍यास जब प्रकाशित हुआ तो 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में अपनी रोचक कथावस्‍तु के कारण यह ब्रिटेन का बेस्‍ट-सेलर क्राइम उपन्‍यास बन गया.

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