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खेल नहीं सबसे 'बड़ा धोखा' निकला, क्या आपने भी FB पर कुछ पोस्ट किया था

खेल नहीं सबसे बड़ा धोखा निकला, क्या आपने भी FB पर कुछ पोस्ट किया था

डिजिटल क्रांति के युग में...Editor

डिजिटल क्रांति के युग में दुनिया अभी ऐसे दौर में हैं, जहां कोई भी चैलेंज रातोंरात हिट हो जाता है. ऐसा ही एक चैलेंज पिछले दिनों शुरू हुआ, जिसका नाम था #10YearsChallenge. इस चैलेंज में लोगों ने न सिर्फ फेसबुक बल्कि इंस्टाग्राम सहित दूसरी सोशल वेबसाइट्स पर भी दो तरह की फोटो डाली. एक थी ताजा फोटो और दूसरी थी 10 साल पुरानी. कहने को तो ये बड़ा मजेदार था, लेकिन इस चैलेंज पर दुनिया के कई टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ने सवाल खड़े कर दिए हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ताजा फोटो के जरिए आपका फेसियल रिकग्नाइजेशन चोरी हुआ है. आसान भाषा में कहें, तो आपका वो डेटा चोरी हो गया जो आपकी चीजों को सुरक्षित करता है. करीब 5.5 करोड़ यूजर्स इस हैशटैग के साथ फेसबुक और इंस्टाग्राम पर तस्वीरें पोस्ट कर चुके हैं.

आपको नुकसान क्या हुआ?

इसे ऐसे समझिए पहले पासवर्ड या पिन से चीजें सुरक्षित होती थीं. फिर उंगलियों के निशान चलन में आ गए. और अब जिस तकनीक पर काम हो रहा है वो है फेसियल रिकग्नाइजेशन. मतलब, फोन का लॉक खोलने से लेकर कोई पेमेंट करने तक बस आपका चेहरा स्कैन करने की जरूरत होती है. दावा है कि अब आप कैसे दिखते हैं, इसे पहचाने के लिए #10YearsChallenge का सहारा लिया गया. न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के बड़े से बड़े सेलेब्रिटी, उद्योगपति और सामाजिक लोगों ने इस चैलेंज में हिस्सा लिया. यहां तक कि ये चैलेंज फेसबुक के जरिए भारत के छोटे शहरों से होता हुआ गांवों तक पहुंच गया और इस तरह टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ने दावा किया कि बड़े पैमाने पर आपका ताजा डेटा चोरी किया गया.

कैसे हो सकता है डेटा का इस्तेमाल?

इस अभियान के जरिए ऑर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) पर काम करने वाली मशीन को किसी व्यक्ति की ऐसी दो तस्वीरें मिल जाएंगी, जिनमें 10 साल का अंतर है. इनकी मदद से मशीन के लिए यह समझना आसान होगा है कि 10 साल में उस व्यक्ति का चेहरा कितना और किस तरह बदला. बड़े पैमाने पर ऐसे डेटा के अध्ययन से ऐसा एल्गोरिदम तैयार करना संभव हो सकता है, जिसकी मदद से किसी भी व्यक्ति की 10 साल पुरानी तस्वीर के जरिए उसकी आज की शक्ल का सटीक अंदाजा लग सके. ये एक तरह से आपकी पहचान चोरी करने का माध्यम बन सकता है.

किसने उठाई आवाज?

लेखिका केट ओ'नील ने अपनी पोस्ट में इस पूरे अभियान के पीछे की मंशा पर ही सवाल उठाया. उनका कहना है कि इस अभियान के नाम पर लोग अनजाने में ही बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को एक खास किस्म का डाटा सौंप रहे हैं. केट प्रौद्योगिकी और तकनीकी लेखन के क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम हैं. इसलिए अभियान पर उनके संदेह जताने के बाद कई एक्सपर्ट्स भी इस पर संदेह जताने लगे हैं. केट को लगता है कि यह अभियान महज तस्वीरें साझा करने का नहीं है, बल्कि बड़ी टेक कंपनियां इसकी मदद से खास डाटा जुटा रही हैं. यह अभियान कंपनियों को बैठे-बिठाए लोगों की शक्ल पहचानने का मौका दे रहा है. इसकी मदद से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां लोगों की शक्ल पहचानने के लिए ज्यादा कारगर सॉफ्टवेयर विकसित करने में सक्षम हो सकती हैं. और ये तो सभी जानते हैं कि फेसबुक पर डेटा चोरी के कितने आरोप लग रहे हैं, हालांकि इस मामले में फेसबुक ने डेटा चोरी न करने को लेकर सफाई दी है.

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