झारखंड में कड़ाके की ठंड के बीच अस्पतालों में बढ़े ब्रेन स्ट्रोक केस, डॉक्टरों ने किया आगाह

तेज ठंड और शीतलहर से कई जिलों में स्वास्थ्य जोखिम बढ़ा अस्पतालों में स्ट्रोक मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है

झारखंड में कड़ाके की ठंड के बीच अस्पतालों में बढ़े ब्रेन स्ट्रोक केस, डॉक्टरों ने किया आगाह
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झारखंड में अचानक बढ़ी ठंड इस बार सिर्फ हल्की परेशानी नहीं ला रही बल्कि सीधे स्वास्थ्य पर असर डाल रही है. कड़ाके की ठंड के साथ राज्य में ब्रेन स्ट्रोक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और डॉक्टर इसे गंभीर संकेत मान रहे हैं. हिमालयी क्षेत्रों में जारी बर्फबारी का असर झारखंड पर इतना दिख रहा है कि नवंबर की शुरुआत में ही तापमान उस स्तर पर पहुंच गया है जो आमतौर पर दिसंबर के मध्य में देखा जाता है. मैक्लुस्कीगंज में पारा छह डिग्री तक गिर गया जो इस सीजन का सबसे कम तापमान है. रांची और आसपास के क्षेत्रों में सुबह शाम की ठिठुरन इतनी तेज है कि लोग तैयार होकर ही घर से निकल रहे हैं.


ग्रामीण इलाकों में घना कोहरा और ठंडी हवा ने आवाजाही भी कठिन बना दी है. लेकिन इससे बड़ा असर अस्पतालों में देखा जा रहा है. डॉक्टरों के अनुसार तापमान में अचानक गिरावट खून के प्रवाह को प्रभावित करती है जिससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. दैनिक अखबार हिंदुस्तान की खबर के अनुसार सदर अस्पताल में स्ट्रोक मरीजों की संख्या करीब तीस प्रतिशत बढ़ चुकी है. रिम्स में रोजाना छह से सात नए स्ट्रोक मरीज आ रहे हैं. चिकित्सकों का कहना है कि सर्दी में खून गाढ़ा हो जाता है और नसों में दबाव बढ़ता है जिससे स्ट्रोक होने की संभावना तेजी से बढ़ती है.


इसी बीच मौसम विभाग ने राज्य के 11 जिलों गढ़वा, पलामू, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा और लातेहार में शीतलहर का यलो अलर्ट जारी किया है. सबसे ज्यादा परेशानी अब बच्चों, बुजुर्गों और सुबह शाम बाहर काम करने वालों को हो रही है. कई स्थानों पर लोगों ने सड़क किनारे अलाव जलाकर ठंड से राहत पाने की कोशिश शुरू कर दी है.


डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि स्ट्रोक के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज न करें. अचानक शरीर का एक हिस्सा सुन्न होना, बोलने में दिक्कत, चेहरे का टेढ़ा हो जाना, आंखों के आगे धुंध दिखना या तेज सिरदर्द जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि ठंड के मौसम में पानी कम पीना भी बड़ी गलती है क्योंकि इससे शरीर में तरल की कमी होती है और खून का प्रवाह प्रभावित होता है.


मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद के अनुसार 18 नवंबर से तापमान में करीब तीन डिग्री की बढ़ोतरी हो सकती है जिससे हल्की राहत मिल सकती है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह राहत ज्यादा दिनों तक रहने की उम्मीद नहीं है क्योंकि हिमालयी बर्फबारी आगे भी झारखंड के मौसम को प्रभावित करेगी.


झारखंड में इस बार ठंड का असर सिर्फ मौसम तक सीमित नहीं है बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दबाव बढ़ा रहा है. डॉक्टरों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है और कहा है कि समय पर इलाज लेने से स्ट्रोक के गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है.

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