नॉन-स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल, सुविधा के साथ आते हैं जोखिम भी
- In Health 26 Jun 2024 5:54 PM IST
आजकल की व्यस्त जिंदगी में, लोग ऐसे हर तरीके अपना रहे हैं जो उनके काम को आसान बना सकें। नॉन-स्टिक बर्तन इसी चाहत का नतीजा हैं, जो आजकल लगभग हर किचन में आसानी से देखे जा सकते हैं। इन बर्तनों में खाना बनाना आसान होता है और साफ करना भी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुविधा के साथ-साथ ये बर्तन कुछ स्वास्थ्य खतरों को भी साथ लाते हैं?
आइए, इस लेख में हम नॉन-स्टिक बर्तनों के कुछ नुकसानों पर गहन नज़र डालते हैं:
1. रसायनों का खतरा:
नॉन-स्टिक बर्तनों की सतह पर एक रसायन होता है जिसे "पोलीटेफ्लोरोएथिलीन" (PTFE) कहा जाता है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि PTFE ज़्यादा गरम होने पर टूट सकता है और हानिकारक रसायन छोड़ सकता है, जो कैंसर, थायराइड की समस्याएं और इम्यून सिस्टम को कमजोर करने जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
2. खरोंच से होने वाले नुकसान:
नॉन-स्टिक बर्तनों की सतह बहुत नाजुक होती है और आसानी से खरोंच सकती है। अगर इन बर्तनों में खाना बनाने के लिए धातु के बर्तनों या स्क्रब का इस्तेमाल किया जाए, तो PTFE की परत खरोंच सकती है। यह खरोंच वाला हिस्सा भोजन में मिल सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
3. पर्यावरण पर प्रभाव:
PTFE एक ऐसा रसायन है जो पर्यावरण के लिए भी हानिकारक होता है। यह मिट्टी और पानी में मिलकर प्रदूषण फैला सकता है।
4. अन्य स्वास्थ्य समस्याएं:
कुछ लोगों को नॉन-स्टिक बर्तनों के इस्तेमाल से एलर्जी या अस्थमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, इन बर्तनों में पकाए गए भोजन में पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है।
निष्कर्ष:
नॉन-स्टिक बर्तन सुविधाजनक ज़रूर हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल से जुड़े स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इसलिए, इन बर्तनों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए और विकल्प के तौर पर मिट्टी, लोहे या कांच के बर्तनों का इस्तेमाल करना बेहतर होगा।
यह भी ध्यान रखें:
•नॉन-स्टिक बर्तनों को ज़्यादा गरम न करें।
•धातु के बर्तनों या स्क्रब का इस्तेमाल न करें।
•खरोंच वाले बर्तनों का इस्तेमाल न करें।
•खाना पकाने के बाद बर्तनों को ठंडा होने दें और फिर धोएं।
•स्वस्थ और सुरक्षित रहने के लिए पारंपरिक बर्तनों का इस्तेमाल ज़्यादा करें।
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