नमक और चीनी में मिला प्लास्टिक, जानिए क्यों है ये खबर चिंताजनक
- In Health 14 Aug 2024 7:38 PM IST
हम सभी जानते हैं कि नमक और चीनी हमारे भोजन का स्वाद बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये दोनों ही सामग्री हमारे रोजमर्रा के खान-पान का एक अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन हाल ही में हुए एक शोध ने हमारे इस विश्वास को हिलाकर रख दिया है। इस शोध में यह बात सामने आई है कि हमारे खाने में इस्तेमाल होने वाले नमक और चीनी में हानिकारक माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं।
आइए इस शोध के बारे में विस्तार से जानते हैं:
1.क्या हैं माइक्रोप्लास्टिक्स: माइक्रोप्लास्टिक्स बेहद छोटे प्लास्टिक के कण होते हैं, जो आकार में पांच मिलीमीटर से भी कम होते हैं। ये प्लास्टिक के बड़े टुकड़ों के टूटने या फिर प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण के दौरान ही उत्पन्न हो जाते हैं।
2.नमक और चीनी में कैसे पहुंचे माइक्रोप्लास्टिक्स: शोधकर्ताओं के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक्स समुद्र और पर्यावरण में व्यापक रूप से फैले हुए हैं। जब समुद्री नमक का उत्पादन किया जाता है, तो माइक्रोप्लास्टिक्स समुद्री जल के साथ नमक में मिल जाते हैं। वहीं, चीनी के उत्पादन में भी माइक्रोप्लास्टिक्स विभिन्न स्रोतों से मिलकर चीनी में पहुंच जाते हैं।
3.क्या हैं माइक्रोप्लास्टिक्स खाने के नुकसान: माइक्रोप्लास्टिक्स के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों के बारे में अभी तक पूरी तरह से जानकारी नहीं मिल पाई है। हालांकि, कुछ शोधों से पता चलता है कि माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर में प्रवेश करने के बाद विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
4.क्यों है ये खबर चिंताजनक: यह शोध हमारे लिए बेहद चिंताजनक है क्योंकि नमक और चीनी का उपयोग हम रोजाना करते हैं। इनमें पाए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकते हैं।
5.क्या है समाधान: इस समस्या के समाधान के लिए सरकार और खाद्य उत्पादक कंपनियों को मिलकर काम करना होगा। हमें ऐसे उपाय करने होंगे जिससे माइक्रोप्लास्टिक्स को पर्यावरण में जाने से रोका जा सके और खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा को कम किया जा सके।
यह शोध हमें इस बात के लिए जागरूक करता है कि हमें अपने खान-पान के प्रति अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। हमें ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो शुद्ध और प्राकृतिक हों। साथ ही, हमें सरकार और खाद्य उत्पादक कंपनियों पर दबाव बनाना होगा कि वे खाद्य सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाएं।
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