कोलोरेक्टल कैंसर, मिलेनियल्स और जन-एक्स के लिए उभरता हुआ गंभीर स्वास्थ्य संकट
- In Health 6 Nov 2024 3:23 PM IST
कोलोरेक्टल कैंसर, जिसे आमतौर पर मलाशय और आंतों का कैंसर कहा जाता है, अब केवल वृद्धों की बीमारी नहीं रह गई है। पहले इसे ज्यादातर बुजुर्गों से जुड़ी एक बीमारी माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में यह युवा पीढ़ी, विशेषकर मिलेनियल्स और जन-एक्स (Generation X) को भी अपनी चपेट में लेने लगा है। यह बदलाव डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि अब यह कैंसर वर्ग उन लोगों के बीच तेजी से फैल रहा है, जिनकी उम्र 20 से 40 साल के बीच है। आइए जानें कि यह बीमारी कैसे फैल रही है और इससे बचने के लिए हमें क्या कदम उठाने चाहिए।
1. कोलोरेक्टल कैंसर: क्या है यह बीमारी?
कोलोरेक्टल कैंसर में बृहदान्त्र (कोलन) और मलाशय (रेक्टम) में असामान्य कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं, जो धीरे-धीरे कैंसर का रूप ले लेती हैं। यह बीमारी शरीर के पाचन तंत्र में उत्पन्न होती है और अक्सर इसके शुरुआती लक्षणों का पता लगाना मुश्किल होता है। इस कैंसर की शुरुआत प्रायः कोलन के अंदर पॉलीप्स (छोटे ट्यूमर) के रूप में होती है, जो बाद में कैंसरous ट्यूमर में बदल सकते हैं।
2. मिलेनियल्स और जन-एक्स पर कोलोरेक्टल कैंसर का बढ़ता प्रभाव
पिछले कुछ दशकों में कोलोरेक्टल कैंसर के मामले वृद्धों तक सीमित थे, लेकिन अब यह युवा पीढ़ी में भी तेजी से फैल रहा है। शोध और आंकड़ों के मुताबिक, मिलेनियल्स और जन-एक्स के बीच कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है, क्योंकि इस उम्र में कैंसर का खतरा पहले से अधिक अनदेखा किया जाता है और लक्षणों को उम्र के सामान्य प्रभावों के रूप में माना जाता है।
क्या हैं इस बदलाव के कारण?
मिलेनियल्स और जन-एक्स को इस कैंसर का शिकार बनने के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
●आहार की खराब आदतें: आजकल की युवा पीढ़ी में फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड, और अधिक मांसाहार खाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। यह प्रकार का आहार फाइबर की कमी के साथ आता है, जिससे आंतों में समस्याएं हो सकती हैं और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
●शारीरिक सक्रियता की कमी: बैठकर काम करने और शारीरिक गतिविधियों की कमी से आंतों की सेहत पर असर पड़ता है। शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहने से यह बीमारी तेजी से फैल सकती है।
●मानसिक तनाव और अवसाद: युवा पीढ़ी में बढ़ता मानसिक तनाव और अवसाद भी स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है, जिसमें कोलोरेक्टल कैंसर भी शामिल है। शोध बताते हैं कि तनाव से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
●धूम्रपान और शराब का सेवन: धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन भी कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। युवा पीढ़ी में इन आदतों की prevalance अब ज्यादा हो गई है, जो इस बीमारी को जन्म दे सकती है।
3. कोलोरेक्टल कैंसर के सामान्य लक्षण
इस कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों में अक्सर शरीर के अन्य सामान्य बदलावों जैसे पेट दर्द, अपच या कब्ज के लक्षण शामिल होते हैं, जिससे लोगों को इसका सही समय पर पता नहीं चल पाता। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण जो कोलोरेक्टल कैंसर की ओर इशारा करते हैं, वे निम्नलिखित हैं:
●लंबे समय तक दस्त या कब्ज की समस्या
●पेट में दर्द, ऐंठन या सूजन
●खून आना या गहरे रंग का मल
●अचानक वजन घटना
●थकान और कमजोरी महसूस होना
4. कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव के उपाय
इस बीमारी से बचाव और नियंत्रण के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं, जिनको अपनाकर इस खतरनाक स्थिति से बचा जा सकता है:
▪︎स्वस्थ आहार अपनाएं
फाइबर से भरपूर आहार, जैसे कि फल, सब्जियां, और साबुत अनाज को अपनी डाइट में शामिल करें। इसके अलावा, प्रोसेस्ड और फैटी फूड्स का सेवन कम करें।
▪︎शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं
व्यायाम करना, जैसे चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना या योग, कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। शारीरिक सक्रियता को बढ़ाकर आप अपनी आंतों को स्वस्थ रख सकते हैं।
▪︎रूटीन जांच कराएं
कोलोरेक्टल कैंसर का समय पर पता लगाने के लिए नियमित स्क्रीनिंग करवाना बहुत महत्वपूर्ण है। 45 वर्ष की आयु के बाद यह स्क्रीनिंग शुरू करने की सलाह दी जाती है, लेकिन यदि परिवार में इस बीमारी का इतिहास है, तो इसे पहले ही शुरू किया जा सकता है।
▪︎धूम्रपान और शराब से बचें
धूम्रपान और शराब का सेवन कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है, इसलिए इनसे बचना जरूरी है।
कोलोरेक्टल कैंसर अब सिर्फ वृद्धों तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह मिलेनियल्स और जन-एक्स के लिए भी एक गंभीर स्वास्थ्य खतरे के रूप में उभर रहा है। इस विकट समस्या का सामना करने के लिए युवा पीढ़ी को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने की आवश्यकता है। स्वस्थ आहार, शारीरिक सक्रियता, और नियमित स्वास्थ्य जांच जैसे उपायों को अपनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। समय पर ध्यान देने और सतर्क रहने से इस खतरनाक कैंसर को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है।
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