रूस की इस पनडुब्बी की खूबियां जानकर दंग रह जाएंगे आप, दुनिया में सैन्य होड़ का संकट
- In विदेश 27 April 2019 1:16 PM IST
रूस ने अपनी सैन्य ताकत में इजाफा करते हुए दुनिया की सबसे लंबी पनडुब्बी बेलगोरोड को अपनी नौसेना बेड़े में शामिल किया है। यह पनडुब्बी 604 फीट लंबी है। इसकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस पनडुब्बी में छह परमाणु हथियारों से लैस टॉरपीडो लगाए गए हैं। सैन्य परीक्षण के बाद वर्ष 2021 यह पनडुब्बी रूसी नौसना में शामिल होगी। इससे रूसी नौसेना की ताकत में इजाफा होगा। लेकिन इस पनडुब्बी से एक बार फिर दुनिया में सैन्य होड़ का संकट खड़ा हो गया है।
रूस की बेलगोरोड पनडुब्बी इतनी ताकतवर है कि इसका एक वार पूरे शहर को तबाह कर सकता है। इसमें छह परमाणु हथियारों से लैस टॉपपीडो लगाए गए हैं। छह टॉरपीडो दो मेटाटन विस्फोटक अपने साथ ले जाने में सक्षम हैं। इसकी क्षमता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टॉरपीडो के दो मेटाटान सामग्री जापान के हिरोशिमा में फटे बम से 130 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। कहा जा रहा है कि इस पनडुब्बी में लगे 79 फीट लंबे टॉरपीडो या कैनयोन समुद्र के अंदर इस्तेमाल होंगे तो रेडियोएक्टिव सुनामी आ सकती है। इससे कई तटीय शहर तबाह हो सकते हैं।
इस पनडुब्बी की खास रफ्तार रण क्षेत्र में किसी भी दुश्मन को पानी पिलाने में सक्षम हैं। इस पनडुब्बी की गति 80 मील प्रतिघंटा है। इसके कंमाड की जिम्मेदारी रूस के राष्ट्राध्यक्ष को होगी। यह पनडुब्बी अंडरवाटर इंटेलिजेंस एजेंसी की तरह रूस के लिए काम करेगी। सैन्य अभियान के अलावा पनडुब्बी पर मौजूद लोग गहराई में समुद्र के तल की मैपिंग कर सकेंगे। अगर इस पनडुब्बी में लगे 79 फीट लंबे टॉरपीडो या कैनयोन समुद्र के अंदर इस्तेमाल होंगे तो रेडियोएक्टिव सुनामी आ सकती है।
बेलगोरोड पनडुब्बी रूस के लिए बेहद अहम साबित होगी। क्योंकि समुद्र के अंदर फैले इंटरनेट केबल को बर्बाद करने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, भारत के सामरिक लिहाल से इसका बहुत फायदा नहीं होगा, भारतीय नौ सेना रूस से ही पनडुब्बी खरीदता रहा है। भारत ने परमाणु क्षमता से संपन्न हमलावर पनडुब्बी पट्टे पर लेने के लिए रूस के साथ तीन अरब डॉलर का समझौता किया है। इस समझौते के तहत अकुला वर्ग की पनडुब्बी को भारतीय नौसेना को 2025 तक में सौंपेगा। इसके पहले भारत ने पहली रूसी परमाणु संचालित पनडुब्बल आइएनएस चक्र को तीन वर्ष की लीज पर 1988 में लिया गया था। इसके बाद दूसरी आइएनएस चक्र को दस वर्षों की लीज के लिए 2012 में हासिल किया गया था।