फेफड़ों का कैंसर: क्या है, कारण, लक्षण और बचाव
- In लाइफस्टाइल 10 April 2024 9:25 PM IST
फेफड़ों का कैंसर फेफड़ों में असामान्य कोशिकाओं का अनियंत्रित विकास होता है। ये कोशिकाएं ट्यूमर बना सकती हैं जो फेफड़ों के कार्यों में बाधा डाल सकती हैं और रक्तप्रवाह के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं।
कारण:
धूम्रपान: फेफड़ों के कैंसर का सबसे आम कारण धूम्रपान है। धूम्रपान करने वाले लोगों में गैर-धूम्रपान करने वालों की तुलना में फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा 20 गुना अधिक होता है।
पर्यावरणीय कारक: वायु प्रदूषण, रेडॉन गैस, रसायन और कुछ धातुओं के संपर्क में आने से भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
वंशानुगत कारक: कुछ लोगों में फेफड़ों के कैंसर के लिए जीन में परिवर्तन हो सकता है जो उन्हें इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं।
अन्य कारक: एस्बेस्टोस, सिलिका और क्रोमियम जैसे पदार्थों के संपर्क में आने से भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
लक्षण:
लगातार खांसी: यह फेफड़ों के कैंसर का सबसे आम लक्षण है।
खांसी में खून आना: यह एक गंभीर लक्षण है जो तुरंत चिकित्सा सहायता लेने की आवश्यकता होती है।
सांस लेने में तकलीफ: यह फेफड़ों के ट्यूमर के कारण वायुमार्ग में रुकावट के कारण हो सकता है।
सीने में दर्द: यह दर्द तेज या धीमा हो सकता है और सांस लेने या खांसने पर बिगड़ सकता है।
अस्पष्टीकृत थकान: यह फेफड़ों के कैंसर का एक आम लक्षण है।
अन्य लक्षण: वजन कम होना, भूख में कमी, निगलने में कठिनाई, आवाज में बदलाव, बार-बार बुखार या संक्रमण आदि।
बचाव:
धूम्रपान न करें: धूम्रपान छोड़ना फेफड़ों के कैंसर से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है।
पर्यावरणीय प्रदूषण से बचें: जितना हो सके स्वच्छ हवा में सांस लें और हवा में प्रदूषकों के संपर्क में कम आएं।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: पौष्टिक आहार खाएं, नियमित रूप से व्यायाम करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें।
नियमित रूप से जांच करवाएं: यदि आप 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं और धूम्रपान करते हैं, तो आपको फेफड़ों के कैंसर के लिए नियमित रूप से जांच करवाने पर विचार करना चाहिए।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि फेफड़ों के कैंसर के सभी मामलों में उपरोक्त सभी लक्षण नहीं होते हैं। यदि आपको कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन यदि इसका जल्दी पता लगा लिया जाए और इलाज किया जाए, तो इसके ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
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उपरोक्त लेख में उल्लिखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।