मध्यप्रदेश: किसान आंदोलन से घबराई भाजपा, मोदी-शाह की जोड़ी पहुंचेंगे मनाने

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के लिए कई योजनाएं लाई है वहीं भाजपा शासित कई राज्यों ने किसानों के लोन तक माफ किए हैं। पिछले दिनों कैबिनेट ने गन्ना किसानों को बड़ा तोहफा भी दिया है लेकिन किसानों का मोदी सरकार के प्रति गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है।
शायद यही वजह है कि किसान देश भर में कहीं न कहीं आंदोलन कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी भी अन्नदाताओं को भुनाने में जुटी है। मंदसौर गोलीकांड की पहली बरसी के छह जून को थी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली ने भारतीय जनता पार्टी की चिंता और चुनौतियां बढ़ा दी हैं। चिंता इस बात की किसानों की हित के लिए काम किए जाने के बाद भी क्यों सरकार के प्रति किसानों का मोहभंग हो रहा है वहीं चुनौती यह है कि किसानों के दर्द को कैसे कम किया जाए। अगर कांग्रेस इसी तरह से किसानों को लुभाती रही भाजपा के लिए 2019 में बड़ा खतरा बन सकती है।
भाजपा यह सोच रही है कि यदि बंटी हुई कांग्रेस जब मंदसौर में इतने किसानों को एकत्रित कर सकती है तो आने वाले समय में वह किसानों को सरकार के खिलाफ भी कर सकती है। मंदसौर में जिस तरह से राहुल गांधी ने किसानों को गले लगाया है और लोन माफ किए जाने की बात की है उनकी इन बातों ने प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के पशीने पर सिलवट ला दी है।
राहुल गांधी को जवाब देने और किसानों को मनाने के लिए मोदी शाह की जोड़ी एक भार फिर मध्यप्रदेश के दौरे पर जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जून को मध्यप्रदेश में होंगे जहां वह राजगढ़ के मोहनपुरा में बांध सहित दो सिंचाई परियोजना भी शुरू करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि यहां वह जब आम सभा को संबोधित करेंगे। लेकिन राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि राहुल से भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है और पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार के लिए खतरा भी बन सकती है।
राहुल ने जिस तरह से पिछले दिनों मंदसौर में भाजपा सरकार को घेरा है और बीजेपी पर सवाल खड़े किए हैं उसका जवाब देने के लिए 12 जून को अमित शाह जबलपुर पहुंच रहे हैं। जिस तरह से किसानों में असंतोष बढ़ रहा है ऐसे में किसान भाजपा के मिशन 2019 के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं।
केंद्र सरकार किसानों की नाराजगी को बहुत अच्छे से समझ भी रही है, यही वजह है कि मोदी कैबिनेट ने गन्ना उत्पादक किसानों के लिए भारी-भरकम पैकेज मंजूर किया है। लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि किसानों की समस्याओं को दूर कैसे किया जाए। बता दें कि इसी साल के अंत तक मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं और यह भाजपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है।