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मंदसौर गोलीकांड में जांच आयोग ने पुलिस व सीआरपीएफ को क्लीन चिट दी

मंदसौर गोलीकांड में जांच आयोग ने पुलिस व सीआरपीएफ को क्लीन चिट दी

पिछले साल छह जून को मंदसौर...Editor

पिछले साल छह जून को मंदसौर गोलीकांड में जस्टिस जे. के. जैन जांच आयोग ने पुलिस और सीआरपीएफ जवानों को क्लीन चिट दे दी है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हालात के मद्देनजर भीड़ को तितर-बितर करने और सुरक्षा बलों का जीवन बचाने के लिए गोली चलाना जरूरी और न्यायसंगत था।

हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फायरिंग में नियमों का पालन नहीं किया गया। पहले पांव पर गोली चलानी थी लेकिन इसका ध्यान नहीं रखा गया। सामान्य प्रशासन विभाग ने रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए इसे गृह विभाग को भेज दिया है। जांच आयोग ने तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक ओ. पी. त्रिपाठी को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराकर केवल यह कहा है कि पुलिस एवं जिला प्रशासन का सूचना तंत्र कमजोर था। बता दें कि स्वतंत्र कुमार सिंह और ओ. पी. त्रिपाठी को मामले में निलंबित कर दिया गया था।

सूत्रों के मुताबिक, 54 बिंदुओं में रिपोर्ट का सारांश है जिसके मुताबिक, छह जून 2017 को महू-नीमच फोरलेन पर बही पार्श्वनाथ फाटक के पास चक्काजाम किया जा रहा था। इसी बीच मुंह पर कपड़ा बांधकर असामाजिक तत्वों ने आंदोलनकारियों में शामिल होकर तोड़फोड़ शुरू की। एक सीएसपी सीआरपीएफ के कुछ जवानों के साथ मौके पर पहुंचा तो असामाजिक तत्वों ने उन्हें घेर लिया। उन पर पेट्रोल बम फेंके और मारपीट की। यही नहीं, आरक्षकों को जमीन पर पटककर उनकी रायफल छीनने लगे और एक एएसआई को पकड़ लिया। स्थिति काबू से बाहर जाती देख गोली चलाने की चेतावनी दी गई। बाद में कथित तौर पर आरक्षकों द्वारा गोली चलाने से पांच किसानों की मौत हो गई।

असामाजिक तत्व कौन थे, नहीं हुआ खुलासा

जांच रिपोर्ट में यह कहीं नहीं कहा गया है कि किसानों ने गदर किया या हिंसा की। यह कहा गया है कि असामाजिक तत्वों ने तोड़फोड़ और हिंसा की। असामाजिक तत्व कौन थे, रिपोर्ट में इसका खुलासा भी नहीं किया गया है। बता दें कि यह जांच रिपोर्ट सितंबर 2017 में आना थी लेकिन मुख्य सचिव को यह नौ महीने की देरी से मिली।

पुलिस एवं जिला प्रशासन में नहीं था समन्वय

रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस एवं जिला प्रशासन में आपसी समन्वय नहीं था। इससे आंदोलन उग्र हो गया। किसानों और अधिकारियों के बीच संवादहीनता के कारण जिला प्रशासन को यह मालूम ही नहीं था कि किसानों की मांगें एवं समस्याएं क्या हैं। यही नहीं, जिला प्रशासन ने इसे जानने की कोशिश भी नहीं की।

मरने वाले किसान थे या असामाजिक तत्व : कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि उम्मीद थी कि दोषियों पर कार्रवाई होगी, लेकिन जांच रिपोर्ट ने सबको क्लीन चिट दे दी है। रिपोर्ट में आंदोलनकारी किसानों को असामाजिक तत्व माना गया है। फिर जिन्हें सरकार ने एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया वे कौन थे। किसान या असामाजिक तत्व?

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