मध्य प्रदेश: सरकार ने नहीं मानी मांग तो प्रदेशभर के जूनियर डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

मध्य प्रदेश: सरकार ने नहीं मानी मांग तो प्रदेशभर के जूनियर डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा
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मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टरों ने एकसाथ इस्तीफा दे दिया है। मध्यप्रदेश के पांचों मेडिकल कॉलेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टरों ने यह इस्तीफा स्टाइपेंड बढ़ाने और अस्पतालों में उपकरणों की मांग को लेकर दिया है। डॉक्टरों द्वारा दिए गए इस्तीफे में करीब 500 डॉक्टर सिर्फ रीवा के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल और भोपाल के गांधी मेमोरिल अस्पताल के हैं।

पिछले दिनों डॉक्टरों ने 10 हजार रुपये तक स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर बेमियादी हड़ताल की थी लेकिन प्रशासन ने एस्मा लगा दिया, लेकिन अब प्रदेश के डॉक्टर राज्य शासन से दो-दो हाथ करने पर उतर आए हैं और वह सरकार को कोई भी मौका नहीं देना चाहते हैं।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक जूनियर डॉक्टर ने मंगलवार को डीन से मुलाकात की, लेकिन उनकी मांगों को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया। इसके बाद ही डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला किया।

जूडा (जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन) ने डीन से मिलने के बाद इस बात पर नाराजगी जताई कि सरकार को उनकी मांग को लेकर चर्चा करनी थी लेकिन सरकार ने उन्हें और पैरामेडिकल स्टाफ की सेवाओं को अति आवश्यक घोषित करते हुए प्रदेश में एस्मा लगा दिया। डॉक्टरों का कहना है कि इससे साफ हो गया कि सरकार डॉक्टरों की मांगों को लेकर कोई बात नहीं करना चाहती है। इसके बाद डॉक्टरों के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

सरकार की तरफ से अतिरिक्त मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया ने एसोसिएशन से बात-चीत के दौरान कहा था कि पहले हड़ताल समाप्त करें उसके बाद ही सरकार उनकी बात सुनेगी। लेकिन जूडा इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने देर शाम नोटिफिकेशन जारी करते हुए एस्मा लगाते हुए जूनियर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के 3 महीने तक अवकाश पर रोक लगा दी। कोई हल निकलता न देख प्रदेशभर के जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है।

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