मध्य प्रदेश में रोकी गई 'राम वन गमन पथ' यात्रा, कांग्रेस ने भाजपा को ठहराया जिम्मेदार

मध्य प्रदेश में रोकी गई राम वन गमन पथ यात्रा, कांग्रेस ने भाजपा को ठहराया जिम्मेदार
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आदर्श चुनाव आचार संहिता के कारण मध्य प्रदेश में निकाली जा रही 'राम वन गमन पथ' यात्रा को रोक दिया गया है। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर यात्रा रोकी गई है, जबकि यह धार्मिक यात्रा थी। वहीं भाजपा ने इसे कांग्रेस की यात्रा बताते हुए कहा है कि उसका इसे कोई लेना-देना नहीं है।

गौरतलब है कि इस बार विधानसभा चुनाव में राम वन गमन पथ बड़ा मुद्दा बन गया है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2007 में राम वन गमन पथ योजना का एलान किया था। इसके तहत राम वन गमन पथ का विकास किया जाना था। लेकिन पिछले ग्यारह सालों में इस योजना पर कोई काम नहीं हुआ।

इस बार कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया और एलान किया कि वह अनंत चतुर्दशी से नौ अक्तूबर तक यात्रा निकालेगी। लेकिन अनंत चतुर्दशी के बजाए चित्रकूट से यह यात्रा गांधी जयंती से शुरू हुई और देर रात इसे डिंडोरी जिले के शाहपुरा में प्रशासन ने रोक दिया। यात्रा के रथ और इसमें शामिल साधु-संत देर रात पुलिस थाने ले जाए गए। यात्रा को पंद्रह दिन के भीतर लगभग 35 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरना था।

कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे का आरोप है कि प्रशासन ने भाजपा के दबाव में कार्रवाई की है और यात्रा में शामिल धर्मावलंबियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि यह धार्मिक यात्रा थी। इसमें कांग्रेस के झंडे-बैनर भी नहीं थे। इसका नेतृत्व पुराने लंका आश्रम चित्रकूट धाम के प्रमुख ट्रस्टी पं. हरिशंकर शुक्ल कर रहे थे। यह गैर राजनीतिक यात्रा थी। वहीं भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि यह कांग्रेस की यात्रा थी। प्रशासन ने यही देखकर इसे रोका होगा। भाजपा का इससे कोई लेना देना नहीं है।

क्या है राम वन गमन पथ

ऐसी मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट के रास्ते मौजूदा मध्य प्रदेश में प्रवेश किया था। रामेश्वरम जाने से पहले राम जहां से भी गुजरे, उसे ही राम वन गमन पथ कहा गया। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सरकार ने एक शोध समिति बनाई, जिसने एक साल तक गहन शोध के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। लेकिन जमीनी तौर पर काम नहीं हुआ।

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