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जहां से शिक्षा पाकर विदेश जाने के काबिल बने, उसे संवारने में लगे हैं छात्र

जहां से शिक्षा पाकर विदेश जाने के काबिल बने, उसे संवारने में लगे हैं छात्र

प्रदेश के सबसे पुराने और...Editor

प्रदेश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान (एसजीएसआईटीएस) से पढ़कर निकले विद्यार्थियों ने इस संस्थान की साज-संभाल की जिम्मेदारी ले रखी है। बीते 16 सालों में संस्थान के पूर्व छात्रों ने डेढ़ करोड़ रुपए तक के संसाधन कॉलेज को जुटाकर दिए हैं। इस साल 13 करोड़ का डोनेशन आया है। इन रुपयों से यहां पढ़ रहे इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए एडवांस कम्प्यूटर लैब बनाया जाएगा।

1952 में स्थापित एसजीएसआईटीएस से अब तक 58 बैच निकल चुकी हैं। वर्ष 2002 से यहां एलुमनाई मीट (पूर्व छात्रों का सम्मेलन) शुरू हुआ। इसमें पुरानी बैच के विद्यार्थी आकर गोल्डन और सिल्वर जुबली मनाते हैं। इस साल 22 दिसंबर को होने वाले सम्मेलन में 1968 और 1993 के विद्यार्थी शामिल होंगे। अब तक किसी छात्र ने कैफेटेरिया बनाने के लिए पैसा दिया है तो किसी ने बिल्डिंग को बेहतर करने के लिए मदद की है तो किसी ने हॉस्टल में सुधार कार्यों का जिम्मा लिया है।

हमारी भी बनती है जिम्मेदारी

संस्थान के 1968 पासआउट राम बैस इस समय यूएस में मैन्युफेक्चरिंग कंपनी संचालित कर रहे हैं। उन्होंने बताया संस्थान से इलेक्ट्रिकल में बीई करने के बाद महाराष्ट्र सरकार के इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में नौकरी की। इसके बाद गजरा गियर में दो साल सेवा दी। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री करने के लिए यूएस गए। वहीं फूड और फार्मा क्षेत्र के लिए मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की शुरुआत की। कंपनी का टर्नओवर इस समय 5.5 मिलियन डॉलर है।

एलुमनाई मीट में होने वाले खर्च में बैस आर्थिक मदद कर रहे हैं। संस्थान का नया गेट बनाने के लिए 25 हजार रुपए और कॉलेज में शुरू होने वाले निशुल्क कोचिंग के लिए आर्थिक मदद भी देंगे। 1983 पासआउट पंकज आगल का कहना है कि जिस संस्थान की बदौलत हम अपने बिजनेस को विदेश तक ले जा चुके हैं, उसके लिए हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि उसकी तरक्की भी हो। पूर्व छात्रों ने मिलकर संस्थान के कैफेटेरिया बनाने के लिए पैसा दिया है।

साथ खाना खाकर करेंगे उद्धाटन

इस साल सिल्वर जुबली आयोजन में शामिल होने आए 1993 बैच के आकाश सेठिया का कहना है कि एसजीएसआईटीएस प्रदेश का पहला ऐसा संस्थान है, जहां के पूर्व छात्र सालों से एक-दूसरे के लगातार संपर्क में हैं। विदेश में रह रहे पूर्व छात्र अपने संस्थान की सुविधाओं को बेहतर करने के लिए सालभर मदद करते रहते हैं।

शिकागो में रहने वाले आनंद तिवारी हर साल कॉलेज आते हैं। उन्होंने बताया कि 12 महीने पहले बैच ने सर्वे किया था कि कॉलेज में क्या-क्या काम करना चाहिए। इसमें पुराने कैंटीन को नया किया गया है। इस बार की एलुमनाई मीट के छह महीने पहले से पूर्व छात्र विचार कर रहे थे। इस बार डाइनिंग हॉल को नया किया जा रहा है। इसमें 150 छात्र एक साथ खाना खा सकते हैं। 22 दिसंबर को सभी पूर्व छात्र एक साथ यहां खाना खाकर इसकी शुरुआत करेंगे।

पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम हुए थे शामिल

एसजीएसआईटीएस की गिनती देश के प्रमुख 50 इंजीनियरिंग संस्थानों में होती है। इसे विश्वविद्यालय बनाने की दावेदारी की जा रही है। 2002 में शुरू हुई एलुमनाई मीट में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम शामिल हुए थे।

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