मध्यप्रदेश : मानसून सत्र 5 दिनों के बजाए 2 दिन में खत्म, बगैर चर्चा के पास हुआ 11,000 करोड़ का बजट

मध्यप्रदेश : मानसून सत्र 5 दिनों के बजाए 2 दिन में खत्म, बगैर चर्चा के पास हुआ 11,000 करोड़ का बजट
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मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र जिस उम्मीद के साथ प्रारंभ हुआ था, वह पूरी तरह से टूट गई है। मंगलवार को सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। मध्य प्रदेश की 14वीं विधानसभा का यह आखिरी सत्र था, जो हंगामे की भेंट चढ़ गया। 25 जून से शुरू हुआ विधानसभा का मानसून सत्र कुल 5 दिनों तक चलना था, मगर यह 2 दिनों में महज 5 घंटे ही चल सका।

इस 5 घंटे की सदन की कार्यवाही के दौरान भी भारी हंगामा हुआ और 11,000 करोड़ का अनुपूरक बजट बिना चर्चा के मिनटों में ही पास हो गया। इसके विरोध में कांग्रेस तीन दिन से समानांतर विधानसभा चला रही है। इस दौरान कांग्रेस विधायक आंखों पर पट्टी बांधकर और कानों में हेडफोन लगाए अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस समानांतर विधानसभा में सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी और उसके द्वारा किए गए घोटालों को उजागर किया जाएगा।

विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष को न तो कुछ दिखता है और न ही वह कुछ बोलते हैं। वह बस नरोत्तम मिश्रा को ही देखते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सदन अगर नहीं चल रहा है तो उसके दोषी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा और नरोत्तम मिश्रा हैं।

14वीं विधानसभा में महज 130 दिन ही चली सदन की कार्यवाही

मध्य प्रदेश के संसदीय इतिहास का यह दुर्भाग्य ही है कि 14वीं विधानसभा के दौरान सदन की कार्यवाही महज 130 दिन ही चली। पिछली 4 विधानसभाओं की बात करें तो यह अब तक की सबसे कम चलने वाली सदन की कार्यवाही है। इससे पहले 13वीं विधानसभा में 168 दिन सदन की कार्यवाही चली थी, जबकि 12वीं विधानसभा में 159 दिन काम हुआ था। इसके अलावा 11वीं विधानसभा में 289 दिन सदन की कार्यवाही चली थी, जबकि 10वीं विधानसभा में 282 दिन काम हुआ था। 10वीं और 11वीं विधानसभा की कार्यवाही कांग्रेस के शासनकाल में चली थीं।

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